भोपाल । पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश की दोनों प्रमुख सियासी पार्टियां आमने-सामने आ गई है। दोनों पार्टियों के नेता एक-दूसरे पर ओबीसी वर्ग के साथ धोखा करने का आरोप लगाते हुए कह रहे हैं कि उनकी पार्टी ओबीसी के पक्ष में खड़ी है।भाजपा और कांग्रेस दोनों के नेताओं की ओर से बयानों के तीर छोड़े जा रहे हैं।
इस बारे में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा कहते हैं कि कोर्ट के फैसले के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। हमारी सरकार ने ओबीसी आरक्षण के साथ पंचायत चुनाव कराने के प्रयास ईमानदारी से किए। उन्होंने कांग्रेस नेताओं से पूछा कि जब आपको पंचायत चुनाव कराने थे, तब 27 प्रतिशत आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट कराने के प्रयास क्यों नहीं किए। नेता प्रतिपक्ष डा. गोविंद सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सदन में बगैर आरक्षण के चुनाव नहीं होने देने और मजबूती से कोर्ट में पक्ष रखने की बात कही थी।
कांग्रेस ओबीसी हितैषी है। राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने ट्वीट कर कहा कि समय रहते मध्य प्रदेश सरकार निर्धारित कदम उठा लेती तो यह स्थिति नहीं बनती। उन्होंने कहा कि यह फैसला पूर्व निर्धारित सुप्रीम कोर्ट के नजीर आर ट्रिपल टेस्ट के मापदंड के अनुरूप है।मध्य प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जेपी धनोपिया ने कहा कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में आबादी का गलत डाटा प्रस्तुत करके अधिक आरक्षण मांगा। दस्तावेज पूरे नहीं दिए, ट्रिपल टेस्ट की जानकारी नहीं दी, तो कोर्ट के सामने विकल्प ही नहीं था।
राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन ने कहा कि हमने अपनी रिपोर्ट ओबीसी के पक्ष में प्रस्तुत कर दी। अब सरकार को निर्णय लेना है। आरक्षण ओबीसी का अधिकार भी है और आवश्यकता भी। आयोग का दायरा सिफारिश करने का था। हमने यांत्रिकी प्रणाली से आंकड़े जुटाए हैं।नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि सरकार फिर कोर्ट से आग्रह करेगी कि प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के साथ ही पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव हों। वर्तमान स्थिति कांग्रेस के कारण निर्मित हुई है। भाजपा ने संकल्प पारित किया और अध्यादेश तक लाई, लेकिन कांग्रेस ने पूरे प्रकरण को उलझा दिया।