भोपाल में पड़ोसी बनने के बाद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की दोस्ती-राजनीतिक दुश्मनी की चर्चाएं हो रही हैं, लेकिन इसके ठीक पहले ग्वालियर में कांग्रेस की बड़ी मीटिंग हुई। इसमें सिंधिया के गढ़ में कांग्रेस की कमान दिग्विजय सिंह को दी गई। यानी आने वाले चुनावों में सिंधिया से मुकाबले के लिए दिग्गी ही सबसे बड़ा चेहरा होंगे, जबकि कांग्रेस को चुनौती देने के लिए सिंधिया ने भोपाल को पावर सेंटर बना लिया है। कांग्रेस में रहते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह अलग-अलग धुरी के नेता माने जाते थे। हाल ही में दिग्विजय ग्वालियर चंबल में सक्रिय हुए हैं। इसके बाद जब सिंधिया भोपाल आए तो उन्होंने दिग्विजय सिंह का नाम लिए बिना अपने विरोधी पर हमला बोला था। कहा कि मैं कांग्रेस में था, तब भी लोगों को खुजली आती थी, बीजेपी में हूं, तब भी खुजली आती है।
सिंधिया भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित सरकारी बंगले में सपरिवार गृह प्रवेश भी कर चुके हैं। सिंधिया ने संकेत दे दिए हैं कि अब उनकी सियासत ग्वालियर से नहीं, बल्कि भोपाल से चलेगी। राजनीति के जानकारों का मानना है कि सिंधिया राजघराने का प्रभाव राज्य के कई इलाकों में है। इसके चलते सिंधिया भोपाल से उन इलाकों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना आसान मानते हैं।
वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने डेढ़ दशक बाद सत्ता में वापसी की थी, मगर महज डेढ़ साल में ही कांग्रेस के हाथ से सत्ता फिसल गई। इसकी बड़ी वजह ज्योतिरादित्य सिंधिया रहे हैं, क्योंकि उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया।
सिंधिया को उनके ही गढ़ में कमजोर करना चाहते हैं कमलनाथ
15 साल बाद मिली प्रदेश की सत्ता सिंधिया की वजह से जाने का दर्द पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ को अब भी है। यही कारण है कि वे बैठकों में दोहराते हैं कि वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत दिलाने तक मध्यप्रदेश में उनका डेरा रहने वाला है। कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती ग्वालियर-चंबल इलाका है। कांग्रेस खासकर कमलनाथ, सिंधिया को उनके ही क्षेत्र में कमजोर करना चाहते हैं। यही कारण है कि सिंधिया घराने के धुर विरोधी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को उस इलाके की कमान सौंपी गई है।
दतिया में बड़े आंदोलन की तैयारी
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ग्वालियर-चंबल इलाके में कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ बैठक की। आगामी रणनीति पर चर्चा भी की। इसमें संकेत दिए हैं कि सिंधिया को घेरने में पार्टी कसर नहीं छोड़ेगी। इसी क्रम में कांग्रेस आंदोलन की शुरुआत भी दतिया से करने जा रही है। इसमें ग्वालियर, चंबल के अलावा सागर संभाग के कार्यकर्ता भी जुटने वाले हैं। कांग्रेस जहां सिंधिया को घेरने के लिए रणनीति बनाने में व्यस्त है, तो सिंधिया भी अब प्रदेश में अपनी सक्रियता बढ़ाने की तैयारी में जुटे हैं।