भोपाल, । मध्यप्रदेश में बिना ओबीसी आरक्षण के निकाय और पंचायत चुनाव कराने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भाजपा और कांग्रेस अपने आप को ओबीसी का सबसे बड़ा हितैषी बताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सबसे ज्यादा भाजपा को नुकसान हुआ है। सत्ता में होने के बाद भी भाजपा कोर्ट में मजबूती से अपना पक्ष नहीं रख पाई। आनन फानन में भाजपा ने चुनाव में 27 प्रतिशत ओबीसी को टिकट देने की घोषणा कर दी। लेकिन ओबीसी को अपना हितैषी बताने वाली भाजपा दो माह बाद भी पिछड़ा वर्ग मोर्चा का अध्यक्ष नियुक्त नहीं कर पाई।
वर्तमान में पिछड़ा वर्ग मोर्चा बिना अध्यक्ष के चल रहा है। विगत 13 मार्च को तत्कालीन अध्यक्ष भगत सिंह कुशवाह को एक तथाकथित फोटो वायरल होने के चलते पार्टी ने दबाव डालकर उनका इस्तीफा ले लिया था। इसके बाद आज तक भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा का अध्यक्ष नहीं तलाश पाई। ओबीसी आरक्षण के बीच मची कीच किच के बीच पार्टी खुद के पिछड़ा वर्ग मोर्चा का अध्यक्ष नहीं चुन पाना पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है। गौरतलब है कि इस समय प्रदेश की राजनीति पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) पर केन्द्रित हो गई है।
सूत्र बताते है कि प्रदेश में 52 प्रतिशत ओबीसी के वोटर है। पंचायत और निकाय चुनाव को 2023 के विधानसभा चुनाव का सेमी फाइनल माना जा रहा है। इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों के प्रदर्शन अगली सरकार का रूख तय करेंगे । 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को लेकर जिस तरह से भाजपा ने इस वर्ग को साधने और खुद को हितैषी बताने की कोशिश की है।
उस पर पिछड़ा वर्ग मोर्चा के खली पड़े अध्यक्ष पद ने पानी फेर दिया है । आज भाजपा संगठन के छोटे से लेकर बड़े नेता तक यह बताने की स्थिति में नहीं है कि मोर्चा के अध्यक्ष की कुर्सी पर अब तक धूल क्यों छाई हुई है । सूत्रों के मुताबिक भाजपा संगठन के पास ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष को लेकर एक भी नाम नहीं है।
- कुशवाह को मिली क्लीन चिट
भाजपा ओबीसी मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष भगत सिंह कुशवाह को एक कथित फोटो के चलते इस्तीफा देना पड़ा था । जिस महिला और युवक ने उन्हे ब्लैक मेल किया था उन्हे पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। उनके पास भगत सिंह कुशवाह को लेकर कोई भी आपत्तिजनक वीडियो या अन्य सामग्री नहीं मिली। जिसके बाद उन्हें क्लीन चिट मिल चुकी है। प्रदेश में ओबीसी वर्ग में कुशवाह समाज का बड़ा दबदबा है। कुशवाह प्रदेश में 30 से 40 विधानसभा सीटों पर असर डालते है। और तकरीबन 80 लाख वोटर इसी समाज से आते है। कांग्रेस कुशवाह समाज को अपने पाले में लाने के लिए भरसक प्रयास कर रही है।