चीन में महिला अधिकारों, समानता और न्याय के दावे की पोल खुल गई है। हॉन्गकॉन्ग में स्थित ऑल चाइना वूमन फेडरेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में हर 7 सेकंड में महिलाओं से घरेलू हिंसा का एक मामला होता है। जबकि महिलाओं के उत्पीड़न के मामलों में सजा की दर मात्र 11% है।
#MeeToo के 400 मामलों को किया गया सेंसर
हॉन्गकॉन्ग
यूनिवर्सिटी के मीडिया स्टडीज के प्रो. किंग वा फू का कहना है कि चीन में
महिला उत्पीड़न के मामलों को सोशल मीडिया पर सेंसर किया जाता है।
प्रो. किंग के मुताबिक, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने इसके लिए विशेष विंग बनाई हुई है। पिछले दो सालों के दौरान #मी टू के लगभग 400 चर्चित मामलों को सेंसर किया गया। चीन की सोशल नेटवर्किंग साइट वीबो पर आईपी एड्रेस से सरकार विरोधी आवाज उठाने वालों पर सख्ती होती है।
महिलाएं घरेलू कामकाज निपटाएं: राष्ट्रपति जिनपिंग
चीन
के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल ही में नसीहत दी है कि महिलाएं घरेलू
कामकाज निपटाएं। इसके साथ ही महिलाओं को पुरानी परंपरा अपनानी चाहिए। देश
में घटती आबादी से निपटने के लिए महिलाएं ज्यादा बच्चे पैदा करें। जबकि,
जिनपिंग का दावा है कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार महिलाओं को बराबरी का दर्जा
देती है।
सोशल मीडिया के 1000 से ज्यादा अकाउंट बंद किए
बतौर
राष्ट्रपति अगले महीने इलेक्शन को देखते हुए जिनपिंग ने महिला उत्पीड़न के
मामलों को दबाने के आदेश दिए हैं। इसके चलते इसी माह सोशल मीडिया पर लगभग
एक हजार से ज्यादा अकांउट बंद किए गए हैं। लगभग 50 हजार से अधिक अकाउंट पर
सरकार विरोधी कमेंट्स को हटाया गया है।
सरकारी टीवी पर मामलों को फर्जी बताया जाता है
चीन
के सरकारी टीवी चैनल सीसीटीवी पर अकसर महिलाओं से यौन उत्पीड़न के मामलों
को फर्जी बताया जाता है। शिनचियांग में हाल में एक महिला के यौन उत्पीड़न की
घटना पर पुलिस ने 28 लोगों को गिरफ्तार किया, लेकिन टीवी पर इसे साधारण
मारपीट की घटना बताया। यौन उत्पीड़न को खारिज किया गया।