पाकिस्तान में पंजाब राज्य के पूर्व खनन मंत्री इब्राहिम हसन मुराद ने अटक शहर में 2 अरब डॉलर (17 हजार करोड़ रुपए) का गोल्ड भंडार मिलने का दावा किया है। हसन मुराद के मुताबिक अटक में 32 किलोमीटर के इलाके में 32,658 किलो (28 लाख तोला) सोने का भंडार मिला है।
हसन मुराद ने 10 जनवरी को X पोस्ट में लिखा- जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ पाकिस्तान के वैज्ञानिकों की यह खोज पंजाब में नेचुरल रिसोर्सेज अपार संभावनाओं को उजागर करती है। यहां से पाकिस्तान के जियोलॉजिकल सर्वे टीम ने 127 जगहों से नमूना लिया।
यह खोज पाकिस्तान की खनिज संपदा को उजागर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो देश को आर्थिक तौर पर मजबूत करने के साथ आने वाली पीढ़ियों के लिए नए अवसरों की संभावना तैयार करता है।
4 चरणों में की जाती है गोल्ड की माइनिंग...
पहली स्टेज- सोने की खदान को खोजना
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक किसी जगह सोने का भंडार मिलने के बाद भी उसकी माइनिंग में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए टाइम, फाइनेंशियल रिसोर्स और कई एक्सपर्ट्स की जरूरत होती है। गोल्ड रिजर्व के शुरुआती साक्ष्य मिलने के बाद भी आगे माइनिंग करने की संभावना 1% से भी कम होती। यही वजह के दुनिया में मौजूद गोल्ड खदानों में से सिर्फ 10% में ही माइनिंग के लिए पर्याप्त सोना है।
एक बार जब यह तय हो जाता है कि सोना निकालने के लिए माइनिंग की जा सकती है तो इसके लिए डिटेल में मॉडल तैयार किया जाता है। इस पूरी प्रोसेस में 1 से लेकर 10 साल तक का वक्त लग सकता है।
दूसरी स्टेज- सोने की खदान को डेवलप करना
एक बार जब यह तय हो जाता है किसी खदान में गोल्ड की माइनिंग की जा सकती है, तो आगे की खुदाई के लिए खदान को डेवलप किया जाता है। माइनिंग कंपनियां खुदाई की प्रोसेस शुरू करने से पहले परमिट और लाइसेंस के लिए अप्लाई करती हैं। आम तौर पर इस पूरी प्रोसेस में कई साल लग सकते हैं।
कागजी कार्यवाही पूरी होने के बाद माइनिंग कंपनियां काम करने वाले वर्कर्स के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करती हैं। इस पूरी प्रोसेस में 1 से 5 साल तक का वक्त लग सकता है।
तीसरी स्टेज- गोल्ड माइनिंग
गोल्ड माइनिंग में तीसरी स्टेज सबसे महत्वपूर्ण होती है। आमतौर पर गोल्ड अयस्क के मिलता है। इस स्टेज में अयस्क से सोना अलग किया जाता है। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में गोल्ड की कीमत, माइनिंग की कॉस्ट और सोने की शुद्धता जैसे कई फेक्टर असर डालते हैं।
टेक्नोलॉजी के डेवलपमेंट की वजह माइनिंग की प्रोसेस आसान हुई है। खदानों को अब टेक्नोलॉजी को ध्यान में रखकर ही डेवलप किया जा रहा है। इस सारी प्रोसेस में 10 से 30 साल का वक्त लग सकता है।
चौथी स्टेज- खदान को बंद करना
माइनिंग की प्रोसेस खत्म होने के बाद कंपनियों को खदान को बंद करने में 1 से लेकर 5 साल तक का वक्त लग सकता है। यह काफी मुश्किल प्रोसेस होती है। इस दौरान कंपनियां खदान को बंद करके इलाके की साफ सफाई करती हैं और पौधे लगाती हैं। खनन कंपनी को खदान बंद होने के बाद भी लंबे समय तक खदान की निगरानी करनी होती है।
सोने का क्यों है इतना महत्व
अगर किसी देश की करेंसी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमजोर होती है, तो सोने का भंडार उस देश की क्रय शक्ति और उसकी आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने में मदद करता है। 1991 में जब भारत की इकोनॉमी डूब रही थी और उसके पास सामान इम्पोर्ट करने के लिए डॉलर नहीं थे तो उसने सोने को गिरवी रख पैसे जुटाए थे और इस फाइनेंशियल क्राइसिस से बाहर आया था।
बहुत अधिक भंडार होने का मतलब है कि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत है। यह भी पता चलता है कि वह देश अपने धन का अच्छी तरह से प्रबंधन करता है। ऐसे में अन्य देश और ग्लोबल फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन उस देश पर ज्यादा भरोसा करते हैं। गोल्ड रिजर्व किसी भी देश की करेंसी वैल्यू का सपोर्ट करने के लिए एक सॉलिड एसेट प्रदान करता है।
पाकिस्तान के लिए क्या है मुश्किल
पाकिस्तान का अटक शहर पंजाब राज्य की सीमा पर मौजूद है। इस शहर के पास ही खैबर पख्तूनख्वा राज्य मौजूद है, जहां लंबे वक्त से पाकिस्तान तालिबान आतंकी घटनाओं को अंजाम देते रहे हैं। इसके अलावा अफगानिस्तान तालिबान भी खैबर पख्तूनख्वा से लेकर अटक तक की बॉर्डर को विवादित मानता है।