भोपाल । अपनी मांगों को लेकर प्रदेश भर के शिक्षकों ने एक मई को विदिशा से ध्वज यात्रा शुरू की है। 42 से 43 डिग्री के तापमान में महिला और पुरुष शिक्षक करीब 40 किमी का सफर तय कर मंगलवार को भोपाल जिले में प्रवेश कर गए हैं और अब वे मुख्यमंत्री से बात करना चाहते हैं।
प्रदेश भर के शिक्षक सिर्फ पुरानी पेंशन के लिए सड़क पर नहीं उतरे हैं। असल गुस्सा तो क्रमोन्नति, नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता, अनुकंपा नियुक्ति, पदोन्नति और वरिष्ठता सूची नहीं बनाने को लेकर है और यह सभी काम स्कूल शिक्षा विभाग के हैं।
हैरत की बात है कि क्रमोन्नति की नोटशीट पिछले तीन साल से स्कूल शिक्षा, सामान्य प्रशासन एवं वित्त विभाग के बीच घूम रही है और उस पर कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है। शिक्षकों का अधिकारियों से भरोसा उठ चुका है और वे सिर्फ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने पर अड़े हैं।
आजाद अध्यापक शिक्षक संघ के अध्यक्ष भरत पटेल बताते हैं कि पदयात्रा के दौरान खाने-सोने की व्यवस्था के चलते ज्यादा भीड़ नहीं रखी गई, पर भोपाल में ऐसी कोई समस्या नहीं है। इसलिए अब भीड़ बढ़ेगी।
पांच मई को हम भोपाल में सभा करेंगे। सरकार ने अनुमति नहीं दी है। इसलिए पुलिस जहां रोकेगी, वहीं सभा की जाएगी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में दो लाख 87 हजार शिक्षक हैं। इनकी नियुक्ति भले ही आयुक्त ने की हो, पर व्याख्याता संवर्ग को अन्य लाभ देने की जिम्मेदारी संभागीय संयुक्त संचालक निभाएंगे और उच्च श्रेणी शिक्षक व सहायक शिक्षक की नियुक्ति की जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी।
सामान्य प्रशासन विभाग के नियमों के अनुसार ये गलत है। तीन विभाग इसे दुरस्त करने को लेकर तीन साल से परेशान हैं। जबकि जनजातीय कार्य विभाग में शिक्षकों को नियोक्ता क्रमोन्नति का लाभ दे चुके हैं।
संघ के पदाधिकारी कहते हैं कि 20 दिन में अनुकंपा नियुक्ति देने की बात की जाती है और सात सौ कर्मचारियों के स्वजन तीन साल से इंतजार कर रहे हैं। आयुक्त लोक शिक्षण ने काम का बोझ कम करने के लिए वर्ष 2014 में अपने अधिकार संभागीय संयुक्त संचालक को सौंप दिए और उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी को।