नेशनल ह्यूमन ट्रैफिकिंग अवेयरनेस डे आज
प्रदेश में बड़े पैमाने पर नाबालिग बच्चियों और महिलाओं की तस्करी हो रही है। दलाल बिना डरे पुलिस चौकी के सामने और अस्पताल परिसर तक में बच्चियों और महिलाओं की डेढ़-डेढ़ लाख रुपए में खरीद-फरोख्त कर रहे हैं।
ओडिशा-महाराष्ट्र के एजेंट शादी के नाम पर यह पूरा सौदा मोबाइल फोन पर करते हैं। कटनी, दमोह, सागर, छतरपुर, पन्ना, और नौगांव में इन महिलाओं और बच्चियों को उड़ीसा, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से लाकर 90 हजार से 1.5 लाख रुपए में बेचा जा रहा है। खुलासा हुआ है कि तस्कर 60 साल तक की महिलाओं को भी बेच रहे हैं। गिरोह के एजेंट बच्चियों और महिलाओं को रेलवे व बस स्टैंड से शिफ्ट कर दूसरे शहरों में भेजते हैं।
बच्चियों और महिलाओं की तस्करी के लिए ट्रैफिकिंग गिरोह के एजेंट बीना, कटनी, झांसी और गोंदिया रेलवे स्टेशन का उपयोग जंक्शन के रूप में करते हैं। वजह- इन शहरों की रेलवे कनेक्टिविटी ओडिशा, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से दूसरे शहरों की अपेक्षा ज्यादा बेहतर है।
देश में सबसे ज्यादा मानव तस्करी के मामले तेलंगाना में दर्ज हुए। यहां 2022 में 391 केस रिपोर्ट किए गए। मप्र में इसी अवधि में 81 केस दर्ज हुए। इस मामले में मप्र का स्थान 11वां है।
नेशनल ह्यूमन ट्रैफिकिंग अवेयरनेस डे आज
प्रदेश में बड़े पैमाने पर नाबालिग बच्चियों और महिलाओं की तस्करी हो रही है। दलाल बिना डरे पुलिस चौकी के सामने और अस्पताल परिसर तक में बच्चियों और महिलाओं की डेढ़-डेढ़ लाख रुपए में खरीद-फरोख्त कर रहे हैं।
ओडिशा-महाराष्ट्र के एजेंट शादी के नाम पर यह पूरा सौदा मोबाइल फोन पर करते हैं। कटनी, दमोह, सागर, छतरपुर, पन्ना, और नौगांव में इन महिलाओं और बच्चियों को उड़ीसा, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से लाकर 90 हजार से 1.5 लाख रुपए में बेचा जा रहा है। दैनिक भास्कर की पड़ताल में खुलासा हुआ है कि तस्कर 60 साल तक की महिलाओं को भी बेच रहे हैं। गिरोह के एजेंट बच्चियों और महिलाओं को रेलवे व बस स्टैंड से शिफ्ट कर दूसरे शहरों में भेजते हैं।
बच्चियों और महिलाओं की तस्करी के लिए ट्रैफिकिंग गिरोह के एजेंट बीना, कटनी, झांसी और गोंदिया रेलवे स्टेशन का उपयोग जंक्शन के रूप में करते हैं। वजह- इन शहरों की रेलवे कनेक्टिविटी ओडिशा, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से दूसरे शहरों की अपेक्षा ज्यादा बेहतर है।
देश में सबसे ज्यादा मानव तस्करी के मामले तेलंगाना में दर्ज हुए। यहां 2022 में 391 केस रिपोर्ट किए गए। मप्र में इसी अवधि में 81 केस दर्ज हुए। इस मामले में मप्र का स्थान 11वां है।