भोपाल । कोरोना काल के दौरान रेलवे द्वारा बंद कर दी गई कई सुविधाएं अभी तक बहाल नहीं हो सकी है। वर्तमान में रेल में यात्रा करने का यह पीक वाला समय है, ऐसे में यात्रियों को पूर्व की तरह सुविधाएं नहीं मिलने से वे परेशान हो रहे हैं और रेलवे की व्यवस्थाओं को कोस रहे हैं। राजधानी भोपाल से चौबीस घंटे में 140 ट्रेनें गुजरती हैं, इनमें से 90 प्रतिशत ट्रेनों में सामान्य श्रेणी के टिकट नहीं दिए जा रहे हैं। वरिष्ठ नागरिक समेत 43 श्रेणी में सूचीबद्ध पात्र यात्रियों को रेल किराये में छूट नहीं मिल रही है।
कोरोना महामारी के दौरान इन प्रमुख सुविधाओं पर अधिकारियों ने कैची चलाई थी। दरअसल, बोर्ड कक्षाओं की परीक्षाओं को खत्म हुए समय हो गया है। स्कूलों की छुट्टियों का समय नजदीक है। वैवाहिक कार्यक्रमों के लिए शुभ मुर्हूत का एक दौर गुजर चुका है और शुरू हो चुका है। लोग गर्मी के इस सीजन में रेल यात्राएं करते हैं। कुछ रेल यात्रा कर चुके हैं तो कुछ करने की योजना बना रहे हैं लेकिन रेलवे बोर्ड राहत देने का नाम नहीं ले रहा है। कोरोना महामारी के पहले तक रेल किराए में वरिष्ठ नागरिक को 40 व 50 प्रतिशत की छूट मिलती थी।
वरिष्ठ नागरिक यदि पुरुष है और उम्र 60 वर्ष या अधिक हो चुकी है तो मूल रेल किराये में 40 प्रतिशत की छूट मिलती थी। वरिष्ठ नागरिक महिला है और उम्र 58 वर्ष या उससे अधिक है तो मूल किराये में 50 प्रतिशत की छूट मिलती थी। वरिष्ठ नागरिक अरुण वर्मा का कहना है कि पूरा किराया चुकाना भारी पड़ रहा है। रेलवे को छूट जल्द शुरू करना चाहिए।रेलवे बोर्ड ने इस सुविधा को कोरोना महामारी के बाद से पूरी तरह बंद किया था।
जब ट्रेनें चलने लगी तो कैंसर पीड़ित व दिव्यांग यात्री सहित कुछ सीमित श्रेणी में शामिल यात्रियों के लिए यह सुविधा पुन: शुरू की है लेकिन अभी भी वरिष्ठ नागरिक समेत 43 से अधिक श्रेणी में आने वाले यात्रियों को किराये में छूट नहीं दी जा रही है। किराये में छूट शुरू करने का सुझाव रेलवे बोर्ड को यात्री सुविधा समिति दो माह पूर्व दे चुकी है। रेलवे बोर्ड के अधिकारियों से देरी के संबंध में पुन: चर्चा करेंगे।
मालूम हो कि भोपाल मंडल के स्टेशनों से चलाई जा रही कुछ ट्रेनों में सामान्य टिकट की सुविधा है। इनमें विंध्याचल एक्सप्रेस, भोपाल-बीना मेमू, बीना-कटनी मेमू, इटारसी-कटनी मेमू जैसी ट्रेनें हैं। बाकी ट्रेनों में 29 जून से ये टिकट मिलने शुरू होंगे। यात्री अशोक कापसे कहते हैं कि वह हर माह दिल्ली जाते हैं। यात्रा की योजना कम समय में बनती है और तुरंत निकलना पड़ता है। आरक्षण कराने में स्लीपर व एसी कोच का किराया अधिक लगता है जो वह वहन नहीं कर पा रहे हैं। मजबूरी में आरक्षण कराने की सोचते भी है तो ट्रेनों में वेटिंग रहती हैं। ज्यादा खर्चा आ रहा है।