भोपाल । अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान द्वारा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के सहयोग से नरोन्हा प्रशासन अकादमी में युवा पीएच.डी. स्कॉलर्स के लिये पीएच.डी. संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है।
संगोष्ठी के विशेष-सत्र में डॉ. बी.आर. अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्विद्यालय के सामाजिक विज्ञान के डीन प्रोफेसर डॉ. डी.के. वर्मा और काउंसिल ऑफ सोशल डेवलपमेंट के डायरेक्टर डॉ. नित्यानंद ने राष्ट्रीय और स्थानीय संदर्भ में पीएचडी अनुसंधान की प्रासंगिकता पर विचार रखें। उन्होंने पीएचडी अनुसंधान के उद्देश्य और महत्व पर प्रकाश डाला। संगोष्ठी का उद्देश्य मध्यप्रदेश में युवा स्कॉलर्स के लिये एक मेन्टरशिप प्लेटफार्म उपलब्ध कराना और पीएच.डी. शोध कार्य में मार्गदर्शन देना है।
डॉ. वर्मा ने कहा कि अनुसंधान व्यवस्थित, मौलिक और ज्ञानवर्धक होना चाहिए। अनुसंधान की सार्थकता तभी है जब उसका लाभ समाज को मिले। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारतीय ज्ञान का उपयोग, भारत को केंद्र में रखकर और सामुदायिक सहभागिता के साथ अनुसंधान किए जाने की आवश्यकता है। यह अनुसंधान भारतीय समाज की बुराइयों को दूर करने के साथ समाज में बदलाव और विकास का माध्यम बनेंगे।
डॉ. नित्यानंद ने कहा कि सिर्फ पहचान पाने के लिए अनुसंधान न करें। अनुसंधान का मुख्य उद्देश्य सत्य की खोज होता है। जो सत्य दिखता है उसे वर्तमान के वैज्ञानिक तथ्यों और सामाजिक मूल्यों पर चैलेंज करें। उसके नए समीकरण तलाशें। कोई भी सत्य सास्वत नहीं होता है।
उसमें हमेशा सुधार और विकास की गुंजाइश होती है, यही अनुसंधान है। अनुसंधान को सिर्फ डिग्री पाने के लिए नहीं, बल्कि इसे मानव विकास और समाज में बदलाव लाने में करें। प्राचीन भारत के अनुसंधानकर्ता महर्षि सुश्रुत की शल्य चिकित्सा और महात्मा बुद्ध द्वारा सत्य और आष्टांगिक मार्ग की अवधारणा ने पूरे विश्व को दिशा दिखाई है। ऐसे ही महान अनुसंधानकर्ताओं का अनुसरण करते हुए हमें भारतीय समाज को एक नई दशा और दिशा देनी है।
सत्र के अंत में स्कॉलर्स की अनुसंधान संबंधित जिज्ञासाओं का समाधान किया गया। केन्द्रीय विश्वविद्यालय, राज्य के विश्वविद्यालय, निजी विश्वविद्यालय, आईआईटी, एनआईटी, आईआईएफएम, सीएसआईआर, आईसीएमआर और आईसीएआर प्रयोगशालाओं में पीएच.डी. में नामांकित स्कालर्स शामिल रहे।