भोपाल । मध्यप्रदेश में 12 से 14 साल तक के 30 लाख बच्चों को टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन इनमें अभी 18 लाख 44 हजार बच्चों ने ही टीका लगवाया है। भोपाल समेत प्रदेश आठ जिलों में तो लक्ष्य के मुकाबले 50 प्रतिशत बच्चों को भी टीका नहीं लग पाया है।
कोरोना मरीजों की संख्या कम होने के बाद प्रदेश में कोरोनारोधी टीका लगाने की रफ्तार भी सुस्त हो गई है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कम टीकाकरण के लिए स्कूल शिक्षा विभाग को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। निजी अस्पतालों में 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए शुरू हुए सतर्कता डोज में भी गति धीमी है। प्रदेश में सिर्फ पांच निजी अस्पताल ही टीका लगा रहे हैं। प्रदेश में जिन पांच निजी अस्पतालों मैं सतर्कता डोज लगाई जा रही है उनमें भोपाल के दो, इंदौर के तीन और ग्वालियर का एक अस्पताल शामिल है।
सभी जगह मिलाकर अभी करीब 800 लोगों को ही टीका लगा है। अभी जो अस्पताल टीका लगा रहे हैं उनके पास पहले से कुछ डोज रखी हुई थी उसी का उपयोग कर रहे हैं। उनकी खत्म होने के बाद मुश्किल है कि कोई अस्पताल फिर से टीका मंगाएगा।
इस संबंध में राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ संतोष शुक्ला ने बताया कि ना तो सतर्कता डोज लगवाने में लोगों की रुचि है और ना ही लगाने में अस्पतालों की। इसकी वजह यह है कि अस्पतालों को टीका के डोज बेकार जाने की वजह से नुकसान हो रहा है। एक वायल में 10 डोज रहती है। वायल खोलने के 4 घंटे के भीतर टीका लगाना होता है, अन्यथा बचे हुए डोज बेकार जाते हैं। यही वजह है कि निजी अस्पताल रुचि नहीं ले रहे हैं।