भोपाल । राजधानी के बाजारों में होली के पर्व की तैयारी शुरु हो गई है। रंग-गुलाल और पिचकारी से दुकानें सजने लगी है। बाजारों में मोदी-योगी की पिचकारियां दुकानों पर सज गई है और खरीददारों की बीच इनकी मांग भी ज्यादा है। कोरोना वायरस महामारी के चलते दो सालों में ठीक से होली नहीं मना पा रहे थे लेकिन इस बार पूरे उत्साह के साथ होली का त्योहार मनाया जाएगा।
होली पर पिचकारियों का बाजार इस बार पांच करोड़ रुपये तक पहुंचने की व्यवसायियों को उम्मीद है। कोरोना संक्रमण कम होने से 18 मार्च को होली मनाने का उत्साह शहरवासियों व आसपास के जिलों में दोगुना रहेगा। ऐसे में अभिभावक बच्चों के लिए अभी से पिचकारियां खरीदने लगे हैं। होली मनाने के उत्साह को देखते हुए शहर के थोक व फुटकर विक्रेताओं ने 150 तरह की पिचकारियां बाजार में रखी हैं।
पुराने शहर थोक पिचकारी विक्रेता सौरभ साहू ने बताया कि दो सालों से कोराना संक्रमण से पिचकारियों का कारोबार एक से दो करोड़ रुपये तक सिमट गया था। इस बार फिर से कोरोना काल के पहले की तरह अच्छा कारोबार होने की उम्मीद है। पांच करोड़ रुपये तक पिचकारियों का व्यवसाय भोपाल व आसपास के शहरों में होगा। दिल्ली, मुंबई से आने वाली अलन-अलग पिचकारियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चित्र लगे हुए हैं। कुछ पिचकारियों में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के भी फोटो देखने को मिल रहे हैं।
इसके अलावा कार्टून कैरेक्टर छोटा भीम, मोटू-पतलू, रोबोट, मिकी-माउस के चित्रों वाली पिचकारियों से नए व पुराने शहर की दुकानें सजी हुई हैं। इसके अलावा बच्चों के लिए तितली, तोता, चिड़िया सहित फल-सब्जी जैसे आम, केला, बैंगन सहित अन्य डिजाइन की पिचकारियां बाजार में उपलब्ध है। खासतौर पर उत्तरप्रदेश में भाजपा की फिर से सरकार बनने से पिचकारियों में मोदी व योगी छाए हुए हैं। मोदी व योगी के चित्र वाली पिचकारियां की मांग ज्यादा है। टैंक, पंप, गन वाली पिचकारियों पर मोदी व योगी के चित्रों वाली पिचकारियां खूब बिक रही हैं।
न्यू मार्केट व्यवसायी महासंघ के नवनिवार्चित अध्यक्ष संजय वलेचा ने बताया कि न्यू मार्केट में पिचकारियोंं की कई दुकानें लगती हैं। लोग खूब खरीददारी करते हैं। कोरोना के कारण बीते दो सालों से चीन में बनी पिचकारियों की मांग कम हुई है। व्यवसायी चीन में बनी पिचकारियों को नहीं बेच रहे हैं। स्वदेशी पिचकारियों की बाजारों धूम रहेगी। लोग भी जागरूक हुए हैं, इसलिए स्वदेशी पिचकारी 90 प्रतिशत बिकने की उम्मीद है। सिर्फ 10 प्रतिशत चीन में निर्मित पिचकारियां हैं, जिन व्यवसायियों के पास पुरानी पिचकारियां रखी हैं।