तिरुवनंतपुरम । बीते दिनों केरल के कूडलमानिक्यम मंदिर में कथित तौर पर एक गैर-हिंदू कलाकार मानसिया वीपी को अपनी कला का प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी गई थी। जिसके बाद अब मनसिया वीपी के समर्थन में केरल की भरतनाट्यम डांसर अंजू अरविंद ने कूडलमानिक्यम मंदिर में होने वाले डांस एंड म्यूजिक फेस्टिवल से अपना नाम वापस ले लिया है! अंजू ने कहा कि कला का कोई धर्म नहीं होता। मैं अपने बचपन की दोस्त मानसिया वीपी के साथ मजबूती से खड़ी हूं। अन्य सभी कलाकारों ने कूडलमानिक्यम मंदिर प्रबंधन की ओर से आयोजित किए जाने वाले 10 दिवसीय राष्ट्रीय नृत्य एवं सगीत महोत्सव से खुद को अलग करने का फैसला किया है।
मानसिया एक मजबूत महिला है, वह और अधिक ऊर्जा के साथ वापसी करेगी, हम सभी कलाकार उसके साथ हैं। अंजू ने कहा कि मैं कूडलमानिक्यम मंदिर प्रबंधन के फैसले से अचंभित हूं। हम कलाकार चाहते हैं कि वे अपनी शताब्दियों पुरानी सोच को बदलें और लोगों को इंसानियत की नजर से देखें।
मैं एक कलाकार हूं और जब मैं अपनी कला का प्रदर्शन करती हूं तो मेरे दिमाग में यह सोच दूर-दूर तक नहीं होती कि मैं हिंदू हूं या मुस्लिम। कोई भी कलाकार इस तरह की सोच नहीं रखता। मानसिया वीपी और अंजू अरविंद दोनों 21 अप्रैल को कूडलमानिक्यम मंदिर द्वारा आयोजित किए जाने वाले कल्चरल प्रोग्राम में परफॉर्म करने वाले थे।
हैदराबाद यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहीं अंजू अरविंद ने कहा कि मंदिर प्रबंधन ने मानसिया वीपी के कार्यक्रम का पोस्टर-बैनर लगावा दिया था.। फिर अचानक उससे कहा गया कि तुम गैर-हिंदू हो इसलिए परफॉर्म नहीं कर सकती। इनका कहना है कि हमारे यहां यह नियम है, जिसे कलाकारों को मानना पड़ेगा। अगर इनके यहां ऐसे नियम हैं, तो पोस्टर-बैनर लगाने और ब्रॉशर छपवाने से पहले ही सबकुछ जांच परख लेना चाहिए था। हमने मंदिर प्रबंधन को सभी कलाकारों के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध कराई थी।
भरतनाट्यम कलाकार मानसिया वीपी ने पिछले महलने 29 मार्च को आरोप लगाए थे कि त्रिशूर जिले में इंरिंजलकुडा के कूडलमणिक्यम मंदिर में निर्धारित डांस प्रोग्राम में उन्हें शामिल होने से रोक दिया गया था। इस मंदिर पर केरल सरकार के देवसोम बोर्ड का नियंत्रण है। देवसोम बोर्ड के अध्यक्ष प्रदीप मेनन ने कहा था कि हमारे नियमों के मुताबिक, हमें कलाकार से पूछना पड़ता है कि वे हिंदू हैं या गैर-हिंदू। मनसिया ने लिखित में दिया था कि उनका कोई धर्म नहीं है। इसलिए उन्हें नहीं आने दिया गया। हम मंदिर की मौजूदा परम्पराओं के हिसाब से काम कर रहे हैं।
यह पहली बार नहीं है जब मानसिया वीपी को धर्म के चलते आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। इससे पहले भी वह क्लासिकल डांस के चलते कट्टरवादियों के निशाने पर रह चुकी हैं। मानसिया भरतनाट्यम में पीएचडी स्कॉलर हैं। उन्होंने इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर लिखा था, धर्म के आधार पर अलग किए जाने का यह मेरा पहला अनुभव नहीं है। ऐसी ही घटना कुछ साल पहले गुरुवयुर मंदिर में हुई थी।
कला और कलाकारों को लगातार धर्म और जाति के नियमों से मारा जा रहा है। हमारे सेक्युलर केरल में कुछ नहीं बदला है।