भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 9 जनवरी को होने वाले स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SPADEX) को बुधवार को फिर टाल दिया। ISRO ने 2 स्पेस सैटेलाइट के बीच ज्यादा अंतर (drift) का पता लगने के बाद इसे टाल दिया है। अगली तारीख का ऐलान नहीं किया है।
ISRO ने कहा- सैटेलाइट के बीच की दूरी को 225 मीटर तक कम करने के लिए किए गए ऑपरेशन के दौरान यह समस्या आई। लिहाजा 9 जनवरी को होने वाली डॉकिंग (जोड़ा जाना) प्रक्रिया स्थगित कर दी गई है। सैटेलाइट सुरक्षित हैं।
ISRO ने 30 दिसंबर को श्रीहरिकोटा से रात 10 बजे SpaDeX यानी स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट मिशन लॉन्च किया था। इसके तहत PSLV-C60 रॉकेट से दो स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी से 470 किमी ऊपर डिप्लॉय किए गए थे।
दो बार टाली गई स्पेसक्राफ्ट्स को कनेक्ट करने की प्रक्रिया
पहले 7 जनवरी और फिर 9 जनवरी को इस मिशन में अंतरिक्ष में बुलेट की स्पीड से दस गुना ज्यादा तेजी से ट्रैवल कर रहे दो स्पेसक्राफ्ट्स को कनेक्ट किया जाना था, लेकिन दोनों बार प्रक्रिया टाल दी गई।
यदि मिशन आगे सफल रहता है तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। मिशन की कामयाबी पर ही भारत का चंद्रयान-4 मिशन निर्भर है, जिसमें चंद्रमा की मिट्टी के सैंपल पृथ्वी पर लाए जाएंगे। चंद्रयान-4 मिशन को 2028 में लॉन्च किया जा सकता है।
स्पेडेक्स मिशन ऑब्जेक्टिव: डॉकिंग और अनडॉकिंग टेक्नोलॉजी दुनिया को दिखाना
पृथ्वी की निचली कक्षा में दो छोटे स्पेसक्राफ्ट की डॉकिंग और अनडॉकिंग की टेक्नोलॉजी दिखाना।
डॉक किए गए दो स्पेसक्राफ्ट्स के बीच इलेक्ट्रिक पावर ट्रांसफर करने की टेक्नोलॉजी का प्रदर्शन करना।
स्पेस डॉकिंग का मतलब है स्पेस में दो अंतरिक्ष यानों को जोड़ना या कनेक्ट करना।
स्पेडेक्स मिशन प्रोसेस: PSLV रॉकेट से लॉन्च, फिर 470 किमी ऊपर डॉकिंग मिशन में दो छोटे स्पेसक्राफ्ट टारगेट और चेजर शामिल हैं। इन्हें PSLV-C60 रॉकेट से 470 किमी की ऊंचाई पर अलग कक्षाओं में लॉन्च किया गया।
डिप्लॉयमेंट के बाद, स्पेसक्राफ्ट्स करीब 28,800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रैवल कर रहे हैं। ये रफ्तार कॉमर्शियल एयरक्राफ्ट की रफ्तार से 36 गुना और बुलेट की स्पीड से 10 गुना ज्यादा है।
अब टारगेट और चेजर स्पेसक्राफ्ट फार-रेंज रांदेवू फेज शुरू करेंगे। इस फेज में, दोनों स्पेसक्राफ्ट्स के बीच सीधा कम्युनिकेशन लिंक नहीं होगा। इन्हें जमीन से गाइड किया जाएगा।
स्पेसक्राफ्ट करीब आते जाएंगे। 5 किमी से 0.25 किमी के बीच की दूरी तय करते समय लेजर रेंज फाइंडर का उपयोग करेगा। 300 मीटर से 1 मीटर की रेंज के लिए डॉकिंग कैमरे का इस्तेमाल होगा। वहीं 1 मीटर से 0 मीटर तक की दूरी पर विजुअल कैमरा उपयोग में आएगा।
सक्सेसफुल डॉकिंग के बाद, दोनों स्पेसक्राफ्ट के बीच इलेक्ट्रिकल पावर ट्रांसफर को दिखाया जाएगा। फिर स्पेसक्राफ्ट्स की अनडॉकिंग होगी और ये दोनों अपने-अपने पेलोड के ऑपरेशन को शुरू करेंगे। करीब दो साल तक ये इससे वैल्युएबल डेटा मिलता रहेगा।
स्पेसक्राफ्ट A में कैमरा और स्पेसक्राफ्ट B में दो पेलोड
डॉकिंग एक्सपेरिमेंट्स के बाद स्टैंडअलोन मिशन फेज के लिए, स्पेसक्राफ्ट A में हाई रेजोल्यूशन कैमरा (HRC) है। स्पेसक्राफ्ट B में दो पेलोड- मिनिएचर मल्टीस्पेक्ट्रल (MMX) पेलोड और रेडिएशन मॉनिटर (RadMon) है। ये पेलोड हाई रेजोल्यूशन इमेजेज, नेचुरल रिसोर्स मॉनिटरिंग, वेजिटेशन स्टडीज और ऑनऑर्बिट रेडिएशन एनवॉयर्नमेंट मेजरमेंट प्रोवाइड करेंगे जिनके कई एप्लीकेशन्स हैं।
स्पैडेक्स के दोनों सैटेलाइट अनंत टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (ATL) ने ISRO के इंजीनियर्स के मार्गदर्शन में ही बनाए हैं। यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के निदेशक एम शंकरन ने सोमवार रात को कहा- अब तक इंडस्ट्री में कभी बड़े सैटेलाइट को अकेले नहीं बनाया गया था। यह पहली बार है कि दो सैटेलाइट इंटीग्रेट किया गया है। उम्मीद है कि हम आने वाले दिनों में और भी ऐसे सैटेलाइट की लॉन्चिंग करे, जो इंडस्ट्री में ही बने हो। ATL के अध्यक्ष डॉ. सुब्बा राव पवुलुरी ने कहा- इस महत्वपूर्ण मिशन का हिस्सा बनना भारत के ह्यूमन स्पेस प्रोग्राम के प्रति ATL की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।