दिल्ली की आम जनता ने आम आदमी की परेशानियों को दूर करने वाले सुझाव दिए और सरकार ने इन्हें बजट में अपनाया :मनीष सिसोदिया
नई दिल्ली । मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में ‘रोजगार बजट’ पर आए प्रस्ताव पर सदन को संबोधित करते हुए कहा कि मेरे लिए मेरा भारत सबसे ऊपर है और अपने देश को बेहतर बनाने के लिए अपनी आखिरी सांस तक मेहनत करता रहूंगा। आम आदमी पार्टी की विचारधारा के तीन स्तम्भ हैं, कट्टर देशभक्त, कट्टर ईमानदारी और इंसानियत। इसीलिए हम रेडलाइट पर भीख मांगने वाले बच्चों के लिए 10 करोड़ रुपए में शानदार बोर्डिंग स्कूल बनाएंगे। हमने सरकारी अस्पतालों में सारा इलाज फ्री कर दिया। अब मेरी किसी बहन-बेटी को गरीबी की वजह से किसी का इलाज कराने के लिए अपने आपको बेचने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ‘घर-घर राशन योजना’ को लागू करने के लिए मैं सबके पैर पड़ा, लेकिन इन लोगों ने करने नहीं दिया। उपर वाला है। एक खिड़की बंद करता है, तो दस खोल देता है। दिल्ली में न सही, पंजाब में लागू करके दिखाएंगे। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आजाद भारत के इतिहास में पहली बार किसी सरकार ने ‘रोजगार बजट’ प्रस्तुत किया है। जब से ‘रोजगार बजट’ पेश हुआ, तब से दिल्ली ही नहीं, देश भर के युवा खुश हैं कि कम से कम देश की दिशा इस तरफ तो बढ़ी। अब पूरे देश को लग रहा है कि हो तो सकता है, 75 साल में इन्होंने किया नहीं। पंजाब के नतीजे आने के बाद से लोगों को लगने लगा है कि अब ईमानदारी और देशभक्ति की हवा धीरे-धीरे पूरे देश के अंदर बहेगी।
-हर राजनीतिक पार्टी चुनाव के पहले रोजगार की बात करती हैं और जीतने के बाद कोई रोजगार की बात नहीं करता है :अरविंद केजरीवाल
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में उपमुख्यमंत्री एवं वित्ती मनीष सिसोदिया द्वारा लाए गए ‘रोजगार बजट’ के प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सदन को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली विधानसभा में जो बजट प्रस्तुत किया गया है, यह कोई मामूली डॉक्यूमेंट नहीं है। यह एक ऐतिहासिक बजट है। चाहे आप केंद्र सरकार ले लो या फिर कोई राज्य सरकार ले लो, आजाद भारत के इतिहास में पहली बार एक ‘रोजगार बजट’ प्रस्तुत किया गया। रोजगार की समस्या तो आजादी से ही है। 1947 में देश आजाद हुआ था। तभी से हमारे युवाओं की रोजगार की समस्या रही है। कभी कम, कभी ज्यादा रही है। लेकिन रोजगार एक ऐसा मुद्दा हुआ करता था, जिसकी चर्चा चुनावी सभाओं में होती थी। चुनाव के पहले होती थी। हर राजनीतिक पार्टी चुनाव के पहले कहती थी कि हम आएंगे, तो पांच लाख नौकरी दे देंगे, दस लाख नौकरी दे देंगे। चुनाव जीतने के बाद कोई रोजगार की बात नहीं करता है। उसके बाद फिर बंदरबांट होती है। आजाद भारत के इतिहास में पहली बार हो रहा है कि एक बजट केवल और केवल रोजगार के इर्द-गिर्द बनाया गया है और बच्चों को रोजगार देने और सबके घर में खुशहाली लाने के लिए बनाया गया है।