भोपाल । प्रदेश के आठ नगरीय निकायों में फर्जी नियुक्ति घोटाला उजागर हुआ है। प्रदेश के पांच नगर निगम, एक नगर पालिका और दो नगर परिषदों ने बगैर बजट प्रावधान के 34 करोड़ 40 लाख का भुगतान कर दिया। नगर निकायों ने फर्जी तरीके से अकुशल, अर्धकुशल, कुशल और उच्च कुशल श्रमिकों की नियुक्ति की।
इतना ही नहीं, 34 करोड़ 40 लाख 67 हजार 135 रुपये मानदेय भी भुगतान कर दिया। मानदेय भुगतान से पहले बजट में इसका प्रविधान भी नहीं कराया। यह खुलासा संचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा के प्रतिवेदन-2018-19 में हुआ है। प्रदेश के नगरीय निकायों में स्थानीय स्तर पर अधिकारियों की मनमानी के कई मामले सामने आए हैं। फर्जी नियुक्ति का मामला इन्हीं में से है।
राज्य शासन ने नगरीय निकायों को अपने स्रोतों से प्राप्त आय के 65 प्रतिशत या सफाई कर्मियों की स्थिति में 75 प्रतिशत तक स्थापना व्यय सीमित रखने के निर्देश दिए हैं। स्थापना व्यय इस सीमा से अधिक न हो, इसलिए शासन ने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की नियुक्ति पर रोक लगाई है।
मालूम हो कि त्रिस्तरीय पंचायतराज संस्थाओं में हुए आर्थिक नुकसान का मामला सामने आया है। आडिट रिपोर्ट में पाया गया है कि जिला पंचायत सीहोर, ग्वालियर, नरसिंहपुर और छिंदवाड़ा जिले की ग्राम पंचायत स्तर पर संस्थाओं ने बिना बिल-वाउचर 15 करोड़ 10 लाख 26,102 रुपये का भुगतान कर आर्थिक नुकसान पहुंचाया।
भंडार क्रय नियमों का पालन किए बगैर 36 करोड़ की खरीदी बताई गई, जिसमें कहीं कोई निविदा या कोटेशन बुलाने की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
इसका खुलासा विधानसभा में आई रिपोर्ट में हुआ है। शासन ने स्पष्ट निर्देश हैं कि ज्यादा जरूरत हो, तो 89 दिन के लिए श्रमिक रखे जा सकते हैं। जांच में पाया गया गया है कि अधिकांश निकायों में सेवारत स्थाई कर्मियों के विरुद्ध मस्टर रोल पर सेवारत कर्मियों की संख्या कई गुना है। जिस कारण स्थापना व्यय कई गुना बढ़ जाता है।