भोपाल । मध्यप्रदेश भर में तीन शहरी अस्पतालों के बीच एक अस्पताल को पाली क्लीनिक बनाया जाएगा। ये तीन शहरी अस्पताल है संजीवनी क्लीनिक, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सिविल डिंस्पेंसरी) । इस तरह पूरे प्रदेश में 157 पाली क्लीनिक बनाए जाएंगे। प्रदेश के शहरी क्षेत्रों के मरीजों के इलाज के लिए बड़ी सुविधा शुरू होने जा रही है। इसमें चिकित्सा अधिकारी के अलावा, शिशु रोग विशेषज्ञ, मेडिसिन विशेषज्ञ और स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ को पदस्थ किया जाएगा। छुट्टी के दिन छोड़कर बाकी सभी जगह यह विशेषज्ञ मिलेंगे।
अगले महीने भोपाल से इस सुविधा की शुरुआत होने जा रही है। दूसरा बड़ा बदलाव यह किया जा रहा है कि शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सिविल डिस्पेंसरी का नाम अब संजीवनी शहरी स्वास्थ्य केंद्र हो जाएगा। बता दें कि प्रदेश में फिलहाल 110 संजीवनी क्लीनिक, 141 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 62 सिविल डिस्पेंसरी मिलाकर 313 शहरी अस्पताल संचालित हैं। मई के पहले 257 नए खोलने की तैयारी है। इनके शुरू होने के बाद 85 पाली क्लीनिक और बढ़ जाएंगे। पाली क्लीनिक बनाने का बड़ा फायदा यह होगा कि लोगों को उनके घर के पास विशेषज्ञों से इलाज मिल जाएगा। अभी इसके लिए जेपी अस्पताल, मेडिकल कालेज या फिर एम्स जाना होता है।
यहां इलाज कराने में चार से पांच घंटे लग जाते हैं।बता दें कि देश की सबसे ज्यादा शिशु मृत्यु दर मध्य प्रदेश में 46 प्रति हजार है। मातृ मृत्यु दर भी के मामले भी प्रदेश देश में नीचे से तीसरे नंबर पर है। यहां प्रति लाख प्रसव में 163 प्रसूताओं की मौत हो जाती है। सभी पाली क्लीनिक को शुरू करने में सबसे बड़ी चुनौती विशेषज्ञों की नियुक्ति को लेकर होगी। प्रदेश में शिशु रोग विशेषज्ञ और स्त्री रोग विशेषज्ञों की कमी है। ऐसे में बड़े शहरों के लिए भले ही विशेषज्ञ चिकित्सक मिल जाएं, लेकिन छोटी जगह में दिक्कत होगी।
ऐसे में राज्य सरकार की इस नई कवायद का कितना लाभ लोगों को मिल पाएगा, इसका पता बाद में ही चल पाएगा। इस बारे में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संचालक डा. पंकज शुक्ला ने बताया कि एक साल के भीतर सभी जगह क्लीनिक बना दिए जाएंगे। यहां पर डाक्टरों की नियुक्ति संविदा आधार पर एक साल के लिए की जाएगी। उन्होंने बताया के मातृ और शिशु मृत्यु दर कम करने में भी इससे मदद मिलेगी।