भोपाल। व्यापमं महा घोटाले में वनरक्षक परीक्षा 2012 में फर्जी तरीके से एग्जाम देने वाले 3 आरोपियों देवेंद्र कुमार जाटव पुत्र भूषण लाल , पदम सिंह खरे पुत्र मुरारी लाल और आनंद सागर पुत्र अर्जुन प्रसाद को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद दोषी करार देते हुए अदालत के जज नीति राज सिंह सिसोदिया ने सोमवार को साथ साथ साल की सजा सुनाई है। मामले में विशेष लोक अभियोजक सतीश दिनकर ने पैरवी की थी । मिली जानकारी के मुताबिक 15 अप्रैल 2012 को मध्य प्रदेश वन रक्षक भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़े की शिकायत एसटीएफ से करते हुए। बताया गया कि देवेंद्र जाटव ने फर्जी तरीके से परीक्षा पास की है।
एसटीएफ ने व्यापमं और वन विभाग से देवेंद्र कुमार जाटव की जानकारी ली। देवेंद्र से राइटिंग का नमूना और अंगूठे के निशान लिए गए और परीक्षा में पास होने वाले अभ्यर्थी पदम सिंह खरे के संबंध में भी जांच की गई। जांच में सामने आया कि दोनों आरोपी अवैध तरीके से फॉरेस्ट गार्ड बने हैं। इसके बाद एसटीएफ ने मामला दर्ज कर आगे की जांच शुरू की। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मामला सीबीआई को सौंपा गया।
जांच में देवेंद्र जाटव का चयन कराने में मध्यस्थ ब्रजमोहन गौड़ व शिव कुमार यादव से कड़ियां जुड़ीं साजिश के तहत डमी कैंडिडेट बैठाने के लिए रिंकू शर्मा से संपर्क किया गया था। कायमी के 3 दिन पहले रिंकू शर्मा ने सुसाइड कर लिया था। डराइटिंग एक्सपर्ट व फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट की जांच में सामने आया कि देवेंद्र की जगह अन्य व्यक्ति ने परीक्षा दी थी ।
जांच में पता चला कि पदम सिंह ने अपने चाचा विक्रम सिंह खरे के साथ मिलकर मीडिएटर योगेंद्र यादव वासुदेव , चंदेल कुवर , इंद्रासन उर्फ इंद्रेश सिंह , अनुज यादव के साथ मिलकर पदम सिंह खरे की जगह आनंद सागर से संपर्क कर परीक्षा दिलवाई। केस में जांच एजेंसी ने फर्जी तरीके से परीक्षा देने वाले 3 और मध्यस्थता करने वाले 7 लोगों के खिलाफ चार्जशीट प्रस्तुत की। इसमें तीन लोगों के खिलाफ आरोप साबित हुए , जबकि सात लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया । कोर्ट ने आरोपियों को तीन धाराओं में 2-2 साल की जेल और एक - एक हजार रुपए जुर्माना , जबकि अन्य तीन धाराओं में 7-7 साल की कैद व एक हजार रुपए जुर्माना और दो में तीन हजार का जुर्माना लगाया।