नई दिल्ली। भारत के खिलाफ बयानबाजी कर रहे नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली अब अपनी कुर्सी बचाए रखने के लिए नया पैंतरा चलने वाले हैं। लगातार उठ रही इस्तीफे की मांग के बीच ओली ने अपनी ही पार्टी को तोड़ने और विपक्षी पार्टी का साथ लेकर सरकार में बने रहने का प्लान तैयार किया है। उनकी इस योजना को चीन और पाकिस्तान का खुला समर्थन है। बजट सत्र को स्थगित करने के बाद अब केपी ओली एक अध्यादेश लाकर पार्टी को तोड़ सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार ओली वहां मुख्य विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस के संपर्क में हैं, जिनसे उन्हें सपॉर्ट मिल सके। दरअसल, ओली अध्यादेश लाकर पॉलिटिकल पार्टीज एक्ट में बदलाव कर सकते हैं। इससे उन्हें पार्टी को बांटने में आसानी होगी। यह सब चीन और पाकिस्तान के समर्थन से हो रहा है। सरहद पर चीन की हरकतों के खिलाफ देश के लोगों में काफी गुस्सा है, लोग चाइनीज प्रोडक्ट्स के बॉयकॉट की मुहिम चला रहे हैं।
यह गुस्सा अब सिर्फ चीन पर ही नहीं है, बल्कि उसकी शह पर भारत को आंखे तरेर रहे नेपाल पर भी दिखने लगा है। नक्शे पर विवाद के बीच ओली भारत के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। इसके बाद पाकिस्तान पीएम इमरान खान ने ओली से संपर्क साधा। दूसरी तरफ नेपाल में मौजूद चीनी राजदूत भी इस कोशिशों में लगे हैं कि किसी भी तरह ओली सत्ता में बने रहें। हाल ही में ओली द्वारा उठाए गए कई कदमों के पीछे चीनी राजदूत का की स्पष्ट भूमिका बताई जा रही है।
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में ज्यादातर लोग इस समय ओली के खिलाफ हैं। पार्टी की स्टैंडिंग कमिटी के 44 में से 30 लोगों ने ओली से इस्तीफा देने को कहा था। अध्यादेश के बाद ओली को अपनी स्थिति मजबूत करने का समय मिलेगा और जबतक उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी नहीं लाया जा सकेगा। जरूरत पड़ने पर वह पार्टी को बांट भी सकेंगे। पार्टी में पुष्प कमल दहल, बामदेव गौत, झाला नाथ और माधव कुमार नेपाल आदि नेताओं से ओली की नहीं बन रही है, अगर पार्टी टूटती है तो ओली को अपने समर्थन में 138 सांसद दिखाने होंगे। अध्यादेश के बाद उन्हें सिर्फ 30 प्रतिशत सांसदों का ही सपॉर्ट दिखाना होगा। ऐसे में ओली के लिए चीजें आसान हो जाएंगी क्योंकि 40 प्रतिशत सांसद उनकी तरफ हैं।