सूत्रों का कहना है कि स्टारलिंक और अन्य सैटेलाइट ऑपरेटरों से SUC इसलिए मांगा जा रहा है, क्योंकि उन्हें स्पेक्ट्रम नीलामी के बजाय प्रशासनिक आधार पर मिलेगा। जिस कंपनी को सरकार से तय कीमत पर स्पेक्ट्रम मिलेगा, उसे उस पर टैक्स देना होगा। अगर कोई कंपनी नीलामी में स्पेक्ट्रम खरीदती है, तो उसे SUC नहीं देना होगा। लेकिन अगर कोई कंपनी सरकार से सीधे स्पेक्ट्रम लेती है, तो उसे SUC देना होगा। सरकार का कहना है कि यह नियम सभी कंपनियों के लिए बराबर है। इससे सरकार को रेवेन्यू मिलेगा और टेलीकॉम सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बनी रहेगी।