नई दिल्ली । समाजवादी पार्टी ने विधान परिषद चुनाव में दो मुस्लिम और दो अन्य पिछड़ा वर्ग को उतार कर जहां मिशन-2024 के समीकरण साधने की कोशिश की है। वहीं प्रत्याशियों के चयन में सपा की अंदरूनी खेमेबाजी को शांत करने का प्रयास दिखाई देता है। बंटवारे में रामगोपाल और आजम खान दोनों गुटों का ध्यान रखा गया है। यादव-मुस्लिम और पिछड़ी जाति को टिकट देकर जातीय संदेश दिया गया है।
यह भी माना जा रहा है कि एमएलसी चुने जाने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य को विधान परिषद में नेता विरोधी दल बनाया जा सकता है। इसका दोहरा लाभ होगा। जेल में रहने के दौरान मोहम्मद आजम खान की सपा मुखिया से नाराजगी की खूब चर्चाएं चलीं।
एमएलसी चुनाव में भी जब इमरान मसूद खेमे की दावेदारी पक्की मानी जा रही थी ऐसे में आजम खां के करीबी सरफराज़ खान के बेटे शहनवाज को टिकट मिलना यह साबित करता है कि आजम को खूब तरजीह मिल रही है। करहल विधानसभा से चार बार विधायक रहे सोबरन सिंह यादव के बेटे मुकुल यादव को टिकट दिया गया है। सोबरन को रामगोपाल का करीबी माना जाता है। अखिलेश ने जब विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर चर्चा की तो उन्हें करहल से चुनाव लड़ने का आफर दिया गया। अखिलेश चुनाव जीते तो इसका श्रेय सोबरन को दिया गया।