नई दिल्ली । लखीमपुर खीरी कांड को लेकर केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही 1 हफ्ते के अंदर सरेंडर करने का भी निर्देश दिया है।
आपको बता दें कि आशीष मिश्रा केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे हैं। किसान आंदोलन के दौरान लखीमपुर में किसानों पर गाड़ी चढ़ाई गई थी, उसी मामले में मुख्य आरोपी के रूप में आशीष मिश्रा का नाम सामने आया था। जमानत रद करने की याचिका पर फैसला चीफ जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने सुनाया।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चार अप्रैल को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। लखीमपुर खीरी कांड के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की बेल को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आशीष मिश्रा की बेल पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पीड़ितों के पक्ष को सही से नहीं सुना।
शीर्ष अदालत ने कहा कि पीड़ितों का अधिकार है कि हर सुनवाई में उनके पक्ष को भी गंभीरता से सुना जाए, लेकिन हाईकोर्ट में उनके पक्ष को अनसुना कर दिया गया। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने आशीष मिश्रा को एक सप्ताह के अंदर सरेंडर करने का आदेश दिया।
चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना की बेंच ने कहा कि हमारा मानना है कि हर सुनवाई में पीड़ित को आधिकार है कि उसके पक्ष को गंभीरता से सुना जाए। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने आशीष मिश्रा को बेल देते हुए अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया।
अदालत ने कहा कि किसी भी घटना में सिर्फ एफआईआर को ही सब कुछ नहीं माना जा सकता, पूरी न्यायिक प्रक्रिया को ध्यान में रखने की जरूरत होती है। इस दौरान मृतक किसानों के परिजनों के वकील ने अदालत से कहा कि वह आदेश दे कि हाईकोर्ट का वही जज अब इस केस की सुनवाई न करे, जिसने आशीष मिश्रा को बेल दी थी।
इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि इस तरह का आदेश पारित करना सही नहीं होगा। हमें भरोसा है कि वही जज इस मामले को दोबारा नहीं सुनना चाहेगा। अदालत ने साफ कहा कि जिस तरह से हाईकोर्ट की ओर से जल्दबाजी दिखाते हुए यह फैसला सुनाया गया और पीड़ितों को मौका नहीं दिया गया, वह उसके आदेश को खारिज करने के लिए पर्याप्त है।
गौरतलब है कि आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से 14 फरवरी को बेल दे दी गई थी, जब यूपी विधानसभा चुनाव के दूसरे राउंड का मतदान चल रहा था। अदालत के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए इस घटना में मारे गए किसानों के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का ऐलान किया था।