नई दिल्ली । महाराष्ट्र में चल रहे सियासी घमासान को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई की। शीर्ष कोर्ट ने उद्धव ठाकरे को राहत देते हुए विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने से स्पीकर को रोका है। महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर विधायकों की अयोग्यता के मामले में फिलहाल सुनवाई नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने मामला कोर्ट में लगने तक स्पीकर को इस मामले में सुनवाई न करने को कहा है। उद्धव ठाकरे गुट ने कोर्ट में सुनवाई होने तक स्पीकर की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी।
विधायकों की अयोग्यता को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि विधायकों की अयोग्यता पर फिलहाल स्पीकर फैसला नहीं लेंगे। अदालत के फैसले तक विधायकों की अयोग्यता पर स्पीकर की कार्यवाही को रोक रहेगी। सुप्रीम कोर्ट फिलहाल महाराष्ट्र मामले की तुरंत सुनवाई नहीं करेगा। सीजेआई ने कहा कि इसके लिए बेंच का गठन करना होगा।
मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी के बाद उद्धव गुट की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी, कि 39 विधायकों की अयोग्यता के मामले पर सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट ने 27 जून के बदले 11 जुलाई को कहने को कहा था। सीजेआई ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को सूचित करें कि विधायकों के खिलाफ कोई कार्रवाई या सुनवाई अभी न करें। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक इसे स्थगित रखा जाए। इधर, राज्यपाल की ओर से तुषार मेहता ने दलील रखी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिया कि वो विधानसभा अध्यक्ष को इसकी जानकारी दे देंगे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों गुटों के विधायकों पर अयोग्यता की कार्यवाही पर रोक लगाया है।
महाराष्ट्र विधानसभा के प्रधान सचिव राजेंद्र भागवत ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है। जवाब में कहा कि 3 जुलाई को राहुल नार्वेकर को विधानसभा अध्यक्ष चुना गया है। अब उन्हें अयोग्यता का मसला देखना है। ऐसे में डिप्टी स्पीकर की तरफ से भेजे नोटिस को चुनौती देने वाली विधायकों की याचिका का सुप्रीम कोर्ट निपटारा कर दे और नए स्पीकर को अयोग्यता पर फैसला करने दें।
विस ने शिवसेना के 53 विधायकों को जारी किया कारण बताओं नोटिस-
उधर, महाराष्ट्र विधानसभा सचिवालय ने राज्य के कुल 55 शिवसेना विधायकों में से 53 को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इनमें से 39 विधायक एकनाथ शिंदे के खेमे के और 14 विधायक उद्धव ठाकरे गुट के हैं। ठाकरे खेमे के 14 विधायकों में से एक संतोष बांगर चार जुलाई को सरकार के शक्ति परीक्षण के दिन शिंदे खेमे में शामिल हो गए थे। दोनों पक्षों के विधायकों ने कारण बताओ नोटिस मिलने की पुष्टि की।
विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग-
दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर क्रमश: तीन और चार जुलाई को विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव और विश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान पार्टी व्हिप की अवहेलना करने का आरोप लगाते हुए दोनों पक्षों के विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की है। शिंदे खेमे ने उन विधायकों की सूची में पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे का नाम शामिल नहीं किया है, जिन्हें उन्होंने अयोग्य ठहराने की मांग की है। नोटिस महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य (दल-बदल के आधार पर अयोग्यता) नियमों के तहत जारी किए गए हैं। विधायकों को सात दिन के भीतर अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा गया है।