भोपाल । अपनी मांगों को लेकर प्रदेश भर के लघु वेतन कर्मचारी सडक पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं। कर्मचारियों ने 25 मार्च से प्रदेश भर में फिर प्रदर्शन की शुरुआत कर दी है। ये कर्मचारी पहले से सरकार से नाराज हैं। इन्होंने लंबे समय तक पदनाम बदलने वेतन विसंगति दूर करने, दैनिक कर्मचारियों को नियमित करने और मृतक दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के स्वजनों को अनुकंपा नियुक्ति देने की मांगों को लेकर आंदोलन किया है।
अब ये सबसे ज्यादा पुरानी पेंशन नहीं दिए जाने से नाराज हैं और सभी लंबित मांगों को लेकर राजधानी भोपाल समेत जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। शुक्रवार दोपहर तीन बजे भोपाल कलेक्टर के कार्यालय पहुंचे और मुख्यमंत्री के नाम उन्हें ज्ञापन सौंपा। इसी तरह प्रदेश के सभी जिलों में शाम तक कलेक्टरों से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा जाएगा। ये कर्मचारी अपने-अपने विभागों के मंत्रियों से मिलकर उन्हें अपनी कठिनाइयों के संबंध में अवगत कराएंगे।
यह विरोध प्रदर्शन मध्य प्रदेश लघु वेतन कर्मचारी संघ के नेतृत्व में किया जा रहा है। यह संगठन चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के हितों के लिए काम करता है। इस श्रेणी के कर्मचारी मध्यप्रदेश के लगभग सभी विभागों में कार्यरत हैं। संघ के अध्यक्ष महेंद्र शर्मा का कहना है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को सबसे ज्यादा नुकसान को पुरानी पेंशन प्रणाली बंद होने के कारण उठाना पड़ रहा है। पहले इसके नुकसान समझ में नहीं आए थे। तब नई पेंशन योजना लागू ही हुई थी। 2005 में लागू हुई इस योजना के बाद से शासकीय सेवा में आने वाले अब कुछ कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इस अवधि के बाद भर्ती हुए और अब सेवानिवृत्त हो रहे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को सिर्फ एक बार राशि मिल रही है।
इसके अतिरिक्त नई पेंशन योजना के तहत जो पेंशन मिल रही है, वह न्यूनतम 1000 और अधिकतम 3000 से अधिक नहीं है। ऐसे कर्मचारी और इनका परिवार बहुत परेशान है। जब नई पेंशन योजना लागू की गई थी तो तुरंत इसके परिणाम पता नहीं थे इसलिए उस समय विरोध दर्ज नहीं कराया था अब हजारों कर्मचारी नई पेंशन योजना के दुष्परिणाम का सामना कर रहे हैं इसलिए विरोध प्रदर्शन की जरूरत पड़ी है। महेंद्र शर्मा का कहना है कि हर स्तर पर सरकार को बता चुके हैं कि नई पेंशन योजना से सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के हितों का कल्याण नहीं हो रहा है उनके सामने आर्थिक परेशानियां है।
ऐसे कर्मचारी खुद का इलाज भी नहीं करवा पा रहे हैं परिवार की रक्षा करना तो दूर की बात है। इसके अलावा कर्मचारियों की वेतन विसंगति, पद नाम बदले जाने, छोटे कर्मचारियों को उनके गृह जिले में पदस्थ करने, उनका बकाया एरियर देने, उन्हें सम्मानजनक पद नाम से बुलाए जाने और वर्षों से विभागों में कार्यरत अस्थायी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित करने, मृतक स्थायी कर्मियों की मौत के बाद उसके स्वजनों को अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग लगातार कर रहे हैं। दर्जनों बार विभागों के अधिकारियों से पत्राचार किया जा चुका है उनके सामने अपनी समस्याएं रखी जा चुकी है।
सरकार के प्रतिनिधियों को समय-समय पर मांगों से अवगत कराया गया है तब भी निराकरण नहीं किया जा रहा है। अब विरोध प्रदर्शन ही एकमात्र तरीका है। इसी के जरिए शासन से मांगे मनवाने का प्रयास कर रहे हैं। अगले चरणों में अपने—अपने जिलों में लगातार प्रदर्शन करेंगे, भूख हड़ताल पर बैठेंगे। अंत में सभी कर्मचारी राजधानी के लिए कूच करेंगे ।