5 लाख रुपए की रिश्वत लेने वाला फरार एएसआई पवन रघुवंशी 30 दिन बाद भी पकड़ा नहीं जा सका है। एसआईटी बनाने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं। आरोपी एएसआई ने ऐशबाग में पकड़े गए फर्जी कॉल सेंटर के जिन आरोपियों को बचाने के लिए यह रिश्वत ली। वो आरोपी भी भोपाल पुलिस की पकड़ में नहीं आ सके हें।
इनमें कॉल सेंटर चलाने वाले मास्टर माइंड अफजल का साला मुइन खान, उसकी पत्नी जायदा और भाई वसीम सहित डील की रकम लेकर आया टीकमगढ़ का भाजपा पार्षद अंशुल जैन का कोई सुराग नहीं है। जांच के लिए बनी एसआईटी आरोपियों के खातों की जानकारी निकाल रही है। सीडीआर का विश्लेषण कर रही है लेकिन आरोपियों तक नहीं पहुंच पा रही।
बताया जा रहा है एएसआई की तलाश में एक टीम उप्र भेजी गई थी, लेकिन यहां कुछ हाथ नहीं लगा। वहीं मुइन और पार्षद अंशुल जैन की तलाश में भी दबिश हुई। यहां भी पुलिस खाली हाथ रही। डीसीपी अखिल पटेल कहते हैं- टीमें काम कर रही हैं। जल्द ही सफलता मिलेगी।
जांच सुस्त, दो को अग्रिम जमानत: यह रिश्वत कांड 5 मार्च का है। इसके बाद से पुलिस की जांच सुस्त है। इस बीच आरोपी टीआई जितेंद्र गढ़वाल और प्रधान आरक्षक धर्मेंद्र को कोर्ट से अग्रिम जमानत मिल चुकी है। इस केस की सबसे अहम कड़ी पवन और मुइन हैं। इन दोनों की गिरफ्तारी से कई बड़े राज खुल सकते हैं।
अब समझें पूरा मामला ऐशबाग इलाके में 26 फरवरी को फर्जी कॉल सेंटर पकड़ा गया था। पुलिस ने मास्टर माइंड अफजल खान के बेटे को हिरासत में लिया, लेकिन उसे 151 लगाकर छोड़ दिया गया। मामला गरमाने पर एएसआई पवन रघुवंशी को लाइन अटैच किया गया थ। इसके बाद भी पवन ने आरोपियों को बचाने 25 लाख की डील की। इस कॉल सेंटर के जरिए देशभर में ठगी गई है।