शिवराज सिंह चौहान की विरासत और राजनीतिक मंच पर 'अमानत' के मायने

Updated on 09-04-2025 12:25 PM
 भोपाल। मोदी-शाह युग की भाजपा परिवारवाद और राजनीतिक विरासत पर कड़े प्रहार करती है, लेकिन मध्य प्रदेश में राजनीतिक मंच पर अचानक सामने आए एक नए चेहरे ने खलबली मचा दी है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की पुत्रवधू अमानत बंसल की शादी के एक माह के भीतर ही राजनीतिक मंच पर जोरदार उपस्थिति इन दिनों चर्चा में है।

संदेह नहीं कि इसमें शिवराज की सहमति न हो। अभी जब कोई चुनाव नजदीक नहीं हैं, तब बहू को राजनीतिक मंच पर लाने का समय क्यों चुना? क्या संदेश और क्या संकेत हो सकते हैं, इसे लेकर चर्चाओं का दौर जारी है।

सोमवार को कार्तिकेय अपनी पत्नी अमानत के साथ पिता शिवराज सिंह के संसदीय क्षेत्र विदिशा के भेरुंदा गांव में भाजपा के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए, जहां अमानत ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। अमानत ने कहा कि वह क्षेत्र की बेटी बनकर लोगों की सेवा करती रहेंगी।

एक ही दिन में लोकप्रिय बना दिया

हाथ जोड़ने से लेकर संबोधन तक अमानत के हाव-भाव ने लोगों को आकर्षित किया। शिवराज की तरह विनम्रता और उतना ही लोगों को दिल से जोड़ने वाले भाषण ने अमानत को एक ही दिन में लोकप्रिय बना दिया। दरअसल, करीब दो दशक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज के परिवार से राजनीतिक मंच पर कार्तिकेय की एंट्री ही देखी गई है।

शिवराज की धर्मपत्नी साधना सिंह किरार समाज की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और सामाजिक कार्यों और गतिविधियों में ही रुचि रखती हैं। राजनीति के क्षेत्र में उनका सीधा हस्तक्षेप नहीं देखा गया है। विरासत के तौर पर उन्हें कभी शिवराज की उत्तराधिकारी के रूप में पेश नहीं किया गया।

बुधनी विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए उनके पुत्र कार्तिकेय सिंह चौहान का नाम चर्चा में था, लेकिन संगठन ने विदिशा के सांसद रहे रमाकांत भार्गव को उपचुनाव में मौका दिया और उन्होंने जीत दर्ज की। फिलहाल राजनीतिक रूप से कार्तिकेय सिंह चौहान अपनी पहचान नहीं बना सके हैं।

महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण से जोड़कर देख रहे

ऐसे में शादी के एक महीने के अंदर ही राजनीतिक मंच पर उनकी पत्नी अमानत की एंट्री ने सियासी माहौल को गर्म कर दिया है। इसे आने वाले दिनों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण से भी जोड़कर देखा जा रहा है। मध्य प्रदेश उन राज्यों में शुमार है, जहां भाजपा की स्थिति बेहद मजबूत है, लेकिन महिलाओं की उपस्थिति अपेक्षाकृत कम है।

संगठन स्तर पर यह चर्चा जोरों पर है कि जब भारतीय जनता पार्टी राजनीतिक विरासत और परिवारवाद के खिलाफ पिछले 10 वर्षों से मुहिम चलाए हुए है और कांग्रेस को समेटने में इस मुहिम की बड़ी भूमिका रही है, तो शिवराज सिंह चौहान की बहू की राजनीतिक मंच पर उपस्थित को किस नजरिए से देखा जाए?

अमानत के मायके में कोई राजनीति में नहीं

प्रदेश में आने वाले दिनों में न कोई चुनाव है, न संगठन की तरफ से कोई लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ऐसे में अमानत को मंच पर भेजने के पीछे क्या रणनीति हो सकती है? अमानत जिस परिवार(मायका) से आती हैं, उसकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है, बल्कि उनका परिवार अपने व्यवसाय के लिए जाना जाता है। अमानत की पृष्ठभूमि भी राजनीतिक नहीं है। विवाह से पूर्व ऐसी कोई चर्चा कभी नहीं रही कि शिवराज सिंह चौहान की बहू की राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी है।

क्या है संदेश

प्रदेश में करीब दो दर्जन से अधिक ऐसे वरिष्ठ और दिग्गज नेता हैं, जो अपनी राजनीतिक विरासत अपने परिवार में आगे बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन मोदी-शाह के फार्मूले के तहत वह अपनी मंशा जाहिर तक नहीं कर पा रहे हैं।

विधानसभा, लोकसभा या निकायों के चुनाव हों या संगठन में पद मिलने का मामला, वरिष्ठ नेताओं के बेटे, बेटियों और करीबी रिश्तेदारों को परिवारवाद की दुहाई देकर ही मौका नहीं दिया जाता रहा है। ऐसे में जब शिवराज सिंह चौहान अपने बड़े बेटे कार्तिकेय को आगे बढ़ा चुके हैं, तो उनकी बहू की एंट्री से क्या संदेश निकलेगा, यह चर्चा में है।



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