भोपाल । पचमढ़ी के जंगल में दो दिनों में करीब 21 घंटे की मैराथन चिंतन बैठक का निचोड़ यह निकला कि सरकार को अपनी तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर जनता के बीच जाना चाहिए। जनता को बताना होगा कि उसके लाभ की योजनाएं केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की शिवराज सरकार लेकर आई है।
यह तय किया गया कि योजनाओं का भरपूर प्रचार-प्रसार किया जाए, प्रदेश से लेकर विकासखंड तक आयोजन किए जाएं, इनमें मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, सांसद और संगठन के स्थानीय पदाधिकारी भी शामिल हों।
दरअसल, राजधानी की भागम-भाग से दूर एकांत में खुले मन और सकारात्मक सुझावों के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा पचमढ़ी में बुलाई गई इस कैबिनेट बैठक का मुख्य उद्देश्य डेढ़ साल बाद 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए रोडमैप तैयार करना ही था।
जनता के बीच रहेंगे मंत्री-विधायक
उत्तर प्रदेश में भाजपा दोबारा सरकार बनाने में कामयाब जरूर हुई है, लेकिन पार्टी की इस कामयाबी को लेकर मप्र सरकार सहज नहीं है। चिंतन बैठक को लेकर तमाम मंत्री दो दिन के दौरान यही कहते रहे कि 2023 का चुनाव कोई मुद्दा ही नहीं है, लेकिन कुछ मंत्री ऐसे भी रहे, जिन्होंने अनौपचारिक रूप से यह स्वीकार किया
कि बैठक का मुख्य उद्देश्य जनता के बीच सरकार की कल्याणकारी छवि को कैसे सशक्त बनाया जाए, इस पर ही मुख्यमंत्री ने सुझाव लिए हैं। वजह यह है कि सरकार की तमाम योजनाएं पुरानी हो चुकी हैं और उन्हें लेकर जनता में सरकार के प्रति आकर्षण बनाने की जरूरत है। मंत्रियों ने यह भी कहा कि हालांकि कांग्रेस पांच राज्यों के चुनाव परिणामों के बाद एक तरह से खत्म हो गई है, फिर भी जोखिम लेना उचित नहीं होगा।
हारी विधानसभा सीटों पर दिया जाएगा ध्यान
भाजपा सूत्रों का कहना है कि राजनीतिक बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले विधानसभा चुनाव में हारी सीटों पर पूरा ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा कि हम 90 फीसदी काम पूरा कर देते हैं और जो 10 फीसदी अधूरा रहता है, उसका हल्ला मचता है। इसलिए अब सभी योजनाओं के सौ फीसदी क्रियान्वयन की जिम्मेदारी विभागीय मंत्री की है। इसके साथ मंत्री जनता के बीच जाएं, सीधे हितग्राही से संपर्क करें, पार्टी कार्यकर्ता से संपर्क करें।
10 फीसदी वोट प्रतिशत बढ़ाने पर जोर
मुख्यमंत्री ने सभी योजनाओं को नए सिरे से जनता के बीच उतारने के लिए तारीख तय करने के साथ ही उनके प्रचार-प्रसार में कोई कोर कसर नहीं छोडऩे के निर्देश भी दिए। उन्होंने पार्टी कार्यक्रमों में पूरी सहभागिता और संगठन के 10 फीसदी वोट प्रतिशत बढ़ाने में पूरा योगदान देने के लिए भी कहा है। उन्होंने कहा कि डेढ़ साल का समय हमारे पास है, इसमें हम इतना काम कर दें कि चुनाव के समय हमें चिंता ही न रहे। कुछ मंत्रियों ने ब्यूरोकेसी को लेकर भी बात रखी, जिस पर मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि सरकार की मंशा के विरुद्ध कोई कार्य स्वीकार नहीं किया जाएगा। यदि सरकार के हिसाब से कोई अफसर नहीं चलता है तो उसे हटा दिया जाएगा।