कैलिफोर्निया । कोरोना वायरस के इलाज की पद्धति और दवाओं को लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने भारत की आलोचना की है। वैज्ञानिक यह सवाल कर रहे हैं कि ड्रग्स कंट्रोलर जनलर ऑफ इंडिया ने कैसे उन दवाओं के उपयोग की अनुमति दे दी जो बेहद आपातकालीन परिस्थिति में दी जाती हैं। अप्रमाणित दवाएं दी जा रही हैं। अभी तक यह भी तय नहीं है कि जो दवाएं भारत के कोरोना मरीजों को दी जा रही हैं वे प्रमाणित हैं या नहीं। वैज्ञानिकों ने संदेह जताया है कि जो दवाएं भारत में कोरोना मरीजों को दी जा रही हैं, उनकी प्रमाणिकता की जांच दवा कंपनियां भी नहीं कर पा रही हैं। कोरोना मरीजों को दी जाने वाली दवाओं का प्रभाव भी संतोषजनक नहीं है। एक रिपोर्ट के अनुसार मैंगलोर स्थित येनेपोया यूनिवर्सिटी के पब्लिक हेल्थ रिसर्चर अनंत भान ने कहा कि महामारी के दौर में पारदर्शिता बेहद जरूरी है। कोविड-19 एक नया कोरोना वायरस है, इसका इलाज अभी तक मौजूद नहीं है। आइए जानते हैं ऐसी ही दवाओं के बारे में जिसे लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिक चिंतित हैं। साथ ही भारत में इन दवाओं के उपयोग को लेकर आलोचना कर रहे हैं। वैज्ञानिकों को चिंता है कि आपातकालीन दवाओं का कोविड-19 के इलाज के लिए बिना प्रमाणिकता के उपयोग करने से अन्य देशों का हौसला बढ़ाता है।
भारत में कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए इटोलीजुमैब का उपयोग हो रहा है। यह दवा इम्यून सिस्टम की बीमारी सोरिएसिस के लिए उपयोग की जाती है। क्यूबा की मीडिया के अनुसार भारत को देख कर इस दवा को क्यूबा ने भी उपयोग में लाना शुरू कर दिया है। कैलिफोर्निया के ला जोला में स्थित इक्वीलियम नामक दवा कंपनी को अमेरिका ने 29 अक्टूबर को इटोलीजुमैब के कोरोना ट्रायल की अनुमति दी थी। इक्वीलियम ने यूएस फाइनेंशियल रेगुलेटर के सामने यह बात लिखकर दी है कि वह भारत में इटोलीजुमैब से संबंधित डेटा और दवा के उपयोग से बेहद उत्साहित है। डीसीजीआई ने कोविड-19 के इलाज के लिए तीन दवाओं के उपयोग की अनुमति दी थी। पहली दवा थी फैविपिरावीर। यह इंफ्लूएंजा की दवा है। इसकी बदौलत हल्के से मध्यम दर्जे के कोरोना मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इसके उपयोग की अनुमति जून में दी गई थी। इसके साथ ही एंटी वायरल ड्रग रेमडेसिविर के उपयोग की अनुमति भी दी गई थी। इसके बाद जुलाई के महीने में डीसीजीआई ने इटोलीजुमैब के उपयोग की अनुमति दी। सिर्फ भारत ही कोविड-19 के इलाज के लिए तेजी से काम कर रहा है। अमेरिकी फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन ने इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन के लिए तीन दवाओं की अनुमति दी थी। पहला, एंटीबॉडी से परिपूर्ण प्लाज्मा से ट्रीटमेंट, दूसरी मलेरिया के इलाज में उपयोग होने वाली दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन और तीसरी रेमडेसिविर।