-अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने दी राष्ट्रपति पुतिन को चेतावनी
-कहा- नाटो एकजुट है और उसे तोड़ा नहीं जा सकता
कीव। रूस और यूक्रेन के बीच एक महीने से भी ज्यादा समय से जंग जारी है। ना तो यूक्रेनी सेना मैदान छोड़ने को तैयार है और ना ही पुतिन अपनी जीद छोड़ने को तैयार हैं। दोनों देश अभी तक किसी समझौते पर नहीं पहुंच पाए हैं, ऐसे में जंग रुकने की कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। दोनों देशों में चल रही जंग के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक बार फिर रूस को सख्त लहजे में चेतावनी दी है। रूस को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा है कि रूस नाटो की सीमा में एक इंच दाखिल होने की ना सोचे नहीं तो इसके परिणाम बहुत बुरे होंगे। बाइडन ने रूस को ये चेतावनी नाटो संगठन की बैठक के बाद दी है। बैठक के बाद बाइडन ने कहा नाटो एकजुट है और उसे तोड़ा नहीं जा सकता। पुतिन के प्रति बाइडन की अचानक बढ़ी सख्ती की वजह है? रूसी राष्ट्रपति पर बाइडन की चेतावनी कितना असर डालेगी?
वैश्विक मामलों के जानकार हर्ष बी पंत कहते हैं नाटो संगठन की बैठक में बाइडन का दिया गया बयान बहुत अहम है। उन्होंने यह बयान इसलिए भी दिया है क्योंकि वो नाटो के सदस्य देशों की चिंता दूर करना चाहते हैं। दरअसल यूक्रेन से सटे हुए जितने भी देश हैं, उनमें पुतिन के आक्रामक रवैए की वजह से चिंता है। अमेरिका नाटो का प्रमुख देश है। इसलिए बाइडन का ये बयान नाटो देशों को विश्वास जरूर दिलाएगा। हर्ष वी पंत कहते हैं पुतिन यूक्रेन को लेकर पुतिन जंग रुकने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। रूसी राष्ट्रपति यह भी कह चुके हैं कि जो इस जंग में यूक्रेन के साथ शामिल होगा उसकी खैर नहीं। उनका साफ कहना था कि जंग रूस और यूक्रेन के बीच है उसमें किसी को पड़ने की जरूरत नहीं है। इसीलिए अमेरिका ने भी चीन को चेतावनी दी कि वह रूस का सहयोग न करें। लेकिन नाटो देशों की चिंता इसलिए बढ़ गई क्योंकि उन्हें यह बहुत अच्छे से मालूम है कि अगर रूस ने परमाणु युद्ध शुरू किया तो इसकी जांच नाटो के सदस्य देशों तक भी जरूर पहुंचेगी।
वह कहते हैं जबसे पुतिन ने अपनी परमाणु विंग को अलर्ट पर रहने के आदेश के बाद ही नाटो संगठन की बैठक शुरू हुई। इसके बाद ही नाटो सेनाओं की तैनाती यूक्रेन से सटे देशों में की गई। अपना तो इस बात का इंतजार कर रहा है कि रूस अगला कदम क्या उठाएगा। अगर पुतिन इस जंग को परमाणु हथियारों की जंग बनाते हैं तो यह केवल यूक्रेन और रूस के बीच सीमित नहीं रहेगी। ऐसे में नाटो की सेनाओं को जंग के मैदान में उतरना होगा। अगर नाटो इस जंग में उतरा तो अमेरिका को भी इस जंग में हिस्सा लेना होगा। ऐसे में बाइडन की चेतावनी के बाद यह देखना होगा कि पुतिन आगे क्या कदम उठाते हैं। रूसी राष्ट्रपति के आदेश के बाद रूसी नौसेना ने अपने कई परमाणु पनडुब्बियों को उत्तरी अटलांटिक महासागर में उतार दिया है। कई पनडुब्बियां 16 बैलिस्टिक मिसाइलें ले जा सकती हैं। रूस के इस कदम के बाद नाटो देशों की खुफिया एजेंसियों ने रूस के न्यूक्लियर हथियारों पर पैनी नजर रखी हुई है। वहीं ब्रिटेन ने रूसी पनडुब्बियों को खतरा ना मानते हुए इसे रूस की एक चेतावनी बताया है।