नई दिल्ली ।कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में लंदन में आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान वह केंद्र की मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार की खूब आलोचना की। उन्होंने देश के मौजूदा हालात की तुलना पाकिस्तान से कर दी। उनके इस बयान के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जमकर लताड़ लगाई।
इसके बाद केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी राहुल पर खूब बरसे। हिमंत बिस्वा सरमा ने राहुल गांधी के उस बयान को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, असम, तमिलनाडु सहित भारत में अशांति है।
कांग्रेस के पूर्व नेता हिमंत बिस्वा सरमा ने राहुल गांधी के भाषण जिक्र करते हुए कहा, "गांधीजी के समर्थन से गोपीनाथ बोरदोलोई को असम को भारत माता के साथ रखने के लिए संघर्ष करना पड़ा क्योंकि नेहरू ने हमें कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार पाकिस्तान के साथ रहने के लिए छोड़ दिया था। अपने तथ्यों को ठीक करें श्रीमान गांधी।
यह नकली बुद्धिवाद की पराकाष्ठा है!' राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा, "भारत पहले से विकसित नहीं था। यह नीचे से ऊपर की तरह आया है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, असम, तमिलनाडु ये सभी राज्य एक साथ आए और बातचीत के जरिए शांति बनाई। राज्यों के इस संघ में बातचीत की आवश्यकता थी। बातचीत का साधन उभरा। संविधान ने लोगों को वोटिंग का अधिकार दिया। देश में चुनाव प्रणाली, लोकतांत्रिक प्रणाली, चुनाव आयोग, आईआईटी, आईआईएम जैसे संस्थान बने।
" इता ही नहीं राहुल गांधी ने यह भी कहा कि भारतीय विदेश सेवा अहंकारी हो गई है। उनके इस बयान पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, "राजनयिक पंडित नेहरू के पोते के लिए कॉलेज तय करने में व्यस्त थे" मंत्री ने ट्विटर यूजर आर्यन डी'रोज़ारियो के ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर किए, जिन्होंने दावा किया था कि उनके परदादा ने राजीव गांधी के लिए ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज की सिफारिश की थी। राहुल गांधी का भाषण जिसमें उन्होंने चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध सहित कई मुद्दों पर बात की, वह विवादों के केंद्र में आ गया है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसकी आलोचना की। भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने है। विदेश मंत्री ने कहा कि राहुल गांधी ने जिसे भारतीय राजनयिकों का 'अहंकार' बताया, वह वास्तव में 'आत्मविश्वास' है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पलटवार करते हुए कहा, 'हां, इसे विदेश नीति की धज्जियां उड़ाने वालों के सामने राजनीतिक आकाओं के अधीन होना भी कहा जाता है।