वॉशिंगटन । अंतरिक्ष एजेंसी नासा साल 2028 में मंगल ग्रह की चट्टानों के नमूने को धरती पर लाने के लिए एक रॉकेट भेजेगी। अमेरिकी एजेंसी नासा अपने अंतरिक्ष यान में एक छोटा सा रॉकेट भेजेगी। यह राकेटजो लाल ग्रह से नमूने लेने के बाद उसे धरती की ओर वापस लेकर आएगा। यह यात्रा 4 करोड़ मील लंबी होगी। ऐसा पहली बार होगा जब एक रॉकेट धरती की जगह पर किसी दूसरे ग्रह से लॉन्च किया जाएगा।
यह रॉकेट नासा के पर्सवेरेंस रोवर के लाल ग्रह से इकट्ठा किए हुए नमूनों को वापस लेकर धरती पर आएगा। नासा ने मंगलवार को इस पूरी प्रक्रिया का खुलासा किया और एक वीडियो जारी किया। मंगल ग्रह से नमूनों को वापस लाने का यह पूरा प्रॉजेक्ट नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने मिलकर तैयार किया है। यूरोपीय एजेंसी एक छोटा सा रोवर बना नहीं रही है जो नमूनों को इकट्ठा करके वापस लाएगा।यह अपनी तरह का रोबोट की पहली यात्रा होगी जिसके तहत नमूनों को धरती पर सुरक्षित तरीके से वापस लाया जाएगा।
नासा का यह कदम साल 2030 में इंसान के मंगल ग्रह पर उतरने की दिशा में एक और कदम होगा। नासा ने मंगल पर जाने के लिए मार्स एसेंट वीइकल बनाया है जिसे बनाने में 19 करोड़ 40 लाख डॉलर का खर्च आया है। यह बहुत कम वजनी लॉन्चर मंगल ग्रह की सतह से एक लैंडर से उड़ान भरेगा और इसके बाद मंगल ग्रह की कक्षा में चक्कर लगा रहे स्पेसशिप से वह जुड़ जाएगा। इसके बाद स्पेसशिप धरती की बेहद लंबी यात्रा पर रवाना होगा।
नासा पर्सवेरेंस रोवर इस समय मंगल ग्रह पर मौजूद है और जेजेरो क्रेटर के नमूने इकट्ठा कर रहा है। सभी नमूनों को टाइटेनियम की ट्यूब में जमा किया जा रहा है। आने वाले समय में इन नमूनों को एक नए रोवर में रखा जाएगा जो साल 2028 में वहां उतरेगा और उसका नाम फेच होगा।नासा का मानना है कि अगर इंसान को मंगल ग्रह पर भेजकर उन्हें सुरक्षित वापस लाया जाए तो यह बड़ी उपलब्धि होगी।