वॉशिंगटन । पृथ्वी के अलावा अन्य गृहों में बस्तियां बसाने के लिए वैज्ञानिक और संस्थाएं सक्रिय हैं। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का केलीपर स्पेस टेलीस्कोप मिशन साल 2018 में पूरा हो गया था। ईंधन खत्म होने से पहले आठ साल चले इस मिशन में हमारी आकाशगंगा में 30 करोड़ ऐसे ग्रहों की पहचान की गई थी जहां जीवन हो सकता है। साल 2009 से 2018 के बीच नए एक्सोप्लेनेट- ऐसे ग्रह जो किसी सितारे का चक्कर काटते हैं, उनकी खोज की कोशिश की गई। ये टेलिस्कोप ऐसे ग्रहों को तलाश रहा था जो अपने सितारे से करीब उतनी ही दूरी पर हों, जितनी पर धरती सूरज से है। पहले एक जरनल में छापे गए अनैलेसिस के अपडेट में यह समझने की कोशिश की गई है कि इनमें से कितने ग्रहों पर जीवन की संभावना है। रिसर्चर्स का मानना है कि सूरज जैसे कम से कम आधे सितारों के चक्कर ऐसे ग्रह काट रहे हैं जिन पर पानी की मौजूदगी संभव है। एक और आकलन में उम्मीद की गई है कि करीब 75 ग्रहों पर जीवन के लिए उपयुक्त परिस्थितियां हो सकती हैं। यह समझने के लिए ऐसे ग्रहों को ऑब्जर्व किया गया जिनकी सितारे से दूरी के साथ-साथ तापमान और लाइट एनर्जी भी सही मात्रा में हो। स्टडी के लीड लेखक स्टीव ब्रायसन ने एक बयान जारी कर बताया है, 'कैलीपर ने पहले ही हमें बताया कि अरबों ग्रह मौजूद हैं लेकिन अब वह यह भी बता रहा है कि इनमें से कई पर जीवन मौजूद हो सकता है।' हालांकि, उन्होंने कहा कि अभी यह संख्या निर्णायक संख्या से काफी दूर है और पानी की मौजूदगी कई अहम फैक्टर्स में से एक है। इसके बावजूद यह अपने आप में उत्साहित करने वाला है कि इनके बारे में इतनी सटीकता से पता लगाया जा सका है।