भोपाल । राजधानी के ज्यादातर रसूखदार कंपाउंडिंग शुल्क का फायदा उठाकर अपने नक्शे के विपरीत कराए गए अवैध निर्माणों को शुल्क जमाकर वैध करवा रहे हैं। राज्य सरकार की इस योजना का सबसे अधिक फायदा रसूखदार उठा रहे हैं। ये रसूखदार पहले नियम विरुद्ध तरीके से मकान व कामर्शियल इमारतों का निर्माण कराते हैं। इसके बाद किए गए अवैध निर्माण पर कंपाउंडिंग शुल्क जमा कर उसे वैध करा लेते हैं। इससे शहर का विकास बेतरतीब ढंग से हो रहा है।
हालांकि यह नियम मध्य प्रदेश शासन के हैं जिसके तहत ऐसा किया जाता है, लेकिन रसूखदारों द्वारा खुलकर इसका दुरुपयोग किया जा रहा है। शहर के मुख्य सड़कों के किनारे ऐसी बहुमंजिला इमारतें बन रही हैं। जिसमें सुरक्षा के मापदंड दरकिनार हैं। ऐसे में कभी भी हादसा हो सकता है। मान लें कि किसी बहु मंजिला इमारत में आग लग जाए तो वहां तक फायर ब्रिगेड के पहुंचने का रास्ता नहीं है।
आपदा की स्थिति में आसानी से बाहर निकलने के लिए जगह का विकल्प नहीं है। इसके बावजूद राजधानी में स्थिति यह है कि लोग सड़क से सटाकर बहुमंजिला इमारतें खड़ी कर दी हैं। व्यवसायिक नक्शे के लिए बिजली, जल संसाधन, अग्निशमन जैसी शर्तें अनिवार्य हैं। इसकी एनओसी के बगैर नक्शा स्वीकृत नहीं हो सकता है। 250 वर्ग मीटर से अधिक एरिया में निर्माण कराने के लिए टाउन एडं कंट्री प्लानिंग से तकनीकी जांच कराना भी अनिवार्य है। नक्शे के अनुरूप निर्माण नहीं कराने पर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करने से लेकर जुर्माने तक का प्रविधान है।
साथ ही इस प्रकार के अवैध निर्माण से यदि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित नही होती, तो इसे तोड़ा भी जा सकता है। इसके बावजूद नियमों को ताक में रखकर बेधड़क निर्माण हो रहे हैं। नियमानुसार एक हजार वर्ग मीटर में होने वाले निर्माण कार्य में 42 वर्ग मीटर पार्किंग छोड़ना अनिवार्य है। लेकिन भोपाल में किसी भी व्यवसायिक भवन में ओपन एरिया का पालन नहीं हो रहा है। शहर में दो नक्शे बनवाने का खेल जारी है। एक नक्शा वह जो जिसे नगर निगम से पास कराया जाता है, उसके अनुसार भवन बनाने का खोखला दावा किया जाता है।
दूसरा नक्शा वह होता है जिसके आधार पर भवन बनाया जाता है, लेकिन यह तय गाइडलाइन के अनुसार नहीं होता है। बल्कि इसके तहत ज्यादा से ज्यादा अपनी जमीन का उपयोग करना होता है। भले उस निर्माण से दूसरे के जीवन पर संकट आ जाए। लेकिन सड़क के आगे तक निर्माण किया जाता है और उसकी कंपाउंडिंग भी हो जाती है। इस बारे में मुख्य नगर निवेशक भवन अनुज्ञा नीरज आनंद लिखर का कहना है कि नगर निगम से हर महीने 100 से अधिक नक्शे स्वीकृत होते हैं। इसमें 12 से 15 नक्शे व्यवसायिक होते हैं। इनका भौतिक निरीक्षण करने के बाद ही भवन निर्माण की परमिशन दी जाती है।