कोलंबो । श्रीलंकाई सरकार ने कहा है कि भारत के साथ हाल में जिन समुद्री सुरक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं, उन समझौतों से द्वीपीय देश की सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है। देश के कुछ मीडिया संस्थानों द्वारा गलत व्याख्या की जा रही है। इस सप्ताह यहां भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के दौरे के दौरान ‘समुद्री बचाव समन्वय केंद्र' (एमआरसीसी) की स्थापना को लेकर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।
रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, एमआरसीसी की स्थापना, क्षेत्र में संचालित हो रहे पोतों के संकट में पड़ने पर उनकी तलाश और बचाव के लिए बेहद अहम है। इससे विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रस्तावों के अनुपालन के साथ पोतों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। बयान में कहा गया कि श्रीलंका के तलाशी एवं बचाव (एसएआर) क्षेत्र में वाणिज्यिक पोतों के समुद्री एसएआर परिचालन के लिए श्रीलंकाई नौसेना उत्तरदायी है।
बयान में भारत की ओर से मुफ्त में ‘फ्लोटिंग डॉक' सुविधा प्राप्त होने का भी उल्लेख किया गया। बयान के अनुसार भारत ने श्रीलंका को बिना किसी शुल्क के एक डोर्नियर निगरानी विमान उपलब्ध कराने को भी कहा है। बयान में कहा गया कि भारत सरकार के साथ सुरक्षा समझौतों से श्रीलंका की राष्ट्रीय सुरक्षा को न कोई खतरा है और न ही कोई रुकावट पैदा होगी जैसा कि कई प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में दुष्प्रचार किया जा रहा है।