बीजिंग । यूक्रेन में रूसी आक्रमण के बाद चीन ने ताइवान पर किसी भी संभावित आक्रमण को कम से कम चार साल के लिए टाल दिया है। खुफिया सूत्रों ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अब स्व-शासित द्वीप ताइवान पर कोई भी कदम उठाने से पहले पुतिन की 'विफलताओं का विश्लेषण करने वाले हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वी एशियाई महाशक्ति चीन ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन के शेष कार्यकाल के लिए हमला नहीं करेगा। त्साई इंग-वेन का कार्यकाल 2026 में समाप्त होगा। बीजिंग के लिए यूक्रेन का सबक यह है कि वह आसानी से युद्ध नहीं छेड़ेगा। उन्होंने कहा कि चीन यूक्रेन में रूस की कमियों का अध्ययन कर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में सुधार करेगा। अगर यह युद्ध कभी शुरू करेगा, तब यह बड़े स्तर पर होगा, और ताइवान को संभावनाओं के व्यापक दायरे के साथ बीजिंग के इरादों का आकलन करना चाहिए। ताइवान द्वारा रक्षा ताकत बढ़ाने का जिक्र करते हुए कहा, हम भी यहां निष्क्रिय होकर इंतजार नहीं कर रहे हैं, हम खाली नहीं बैठे हैं।' चीनी हमले की आशंका वर्षों से चल रही है।
चीन लगातार अपनी सैन्य क्षमताओं का विस्तार कर रहा है और दक्षिण चीन सागर में सैन्य अभ्यास और कथित 'भूमि हड़पने' सहित अमेरिका के वैश्विक आधिपत्य को तेजी से चुनौती दे रहा है। माना जाता है कि हाल के वर्षों में शिनजियांग प्रांत के रेगिस्तान में लगभग 800 वर्ग किमी में फैले एक साइलो कॉम्प्लेक्स के निर्माण के बाद उसके परमाणु शस्त्रागार में वृद्धि हुई है।
हाल ही में, यह सामने आया कि चीन देश भर में उसके परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम एक उच्च गति वाली 'मिसाइल ट्रेन' की तलाश कर रहा है, जिससे उन्हें (परमाणु हथियारों को) ट्रैक करना और नष्ट करना कठिन हो गया। यूक्रेन के आक्रमण के बाद, ताइवान का कहना है कि वह अपनी सुरक्षा में सुधार के लिए मौजूदा चार महीनों से अधिक अनिवार्य सैन्य सेवा का विस्तार करेगा।
बीजिंग चाहता है कि ताइवान 2050 तक चीन के नियंत्रण में मजबूती से वापस आ जाए, और वह उसकी यूक्रेन के साथ तुलना करने से कतराता है, चीन यह तर्क देता है कि ताइवान उसका एक 'घरेलू मामला' है, जबकि यूक्रेन एक संप्रभु राष्ट्र है जिसे पहले से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है।