जम्मू । दक्षिण कश्मीर में मंगलवार को आतंकवादियों द्वारा एक दलित महिला शिक्षक की गोली मारकर हत्या किए जाने के बाद कश्मीरी पंडितों के कर्मचारियों में दहशत का माहौल है। इस कारण से लगभग 175 हिंदू परिवार एक दिन में कश्मीर से भाग गए हैं। कश्मीर में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कर्मचारी कश्मीरी पंडितों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए, जो जम्मू में ट्रांसफर की मांग कर रहे थे। आतंकवादियों ने कुलगाम जिले में 36 वर्षीय रजनी बाला की उसके स्कूल में गोली मारकर हत्या कर दी। इसके साथ ही पिछले महीने घाटी में लक्षित हत्या का यह सातवां मामला हो गया।
बारामूला के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक अवतार कृष्ण भट ने कहा: "हमारे पास बारामूला में प्रवासी कर्मचारियों के 350 परिवार हैं और उनमें से 50 प्रतिशत मंगलवार से जम्मू के लिए रवाना हो गए हैं। आपको बता दें कि पिछले महीने घाटी में कार्यरत एक अन्य कश्मीरी पंडित कर्मचारी राहुल भट की हत्या के बाद से ही कर्मचारी सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट करने की मांग कर रहे हैं। इस बीच, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज (पीएमआरपी) के तहत काम करने वाले सभी 4,500 कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को 6 जून तक सुरक्षित स्थानों पर तैनात करने का फैसला किया है।
एक अधिकारी ने कहा, "कश्मीर में तैनात अल्पसंख्यक समुदायों के सभी कर्मचारियों को सुरक्षित स्थानों पर तैनात किया जाएगा और प्रक्रिया छह जून तक पूरी कर ली जाएगी। कर्मचारियों ने कल धमकी दी थी कि अगर उन्हें 24 घंटे के भीतर स्थानांतरित नहीं किया गया तो वे घाटी छोड़ देंगे। रजनी बाला की हत्या ने कश्मीर में तैनात एससी कर्मचारियों को झकझोर कर रख दिया है। एससी कर्मचारियों शिक्षा विभाग के द्वारा निदेशक को लिखी चिट्ठी में कहा गया है, ''रजनी बाला की हत्या के बाद हम अपने जीवन के लिए खतरे का सामना कर रहे हैं। इस साल कम से कम 16 हत्याएं हुई हैं।
बारामुला के एक कश्मीरी पंडित कॉलोनी के अध्यक्ष अवतार कृष्ण भट ने बुधवार को कहा कि मंगलवार से इलाके में रहने वाले 300 परिवारों में से लगभग आधे यहां से चले गए हैं। उन्होंने कहा, की हत्या के बाद से वे डर गए थे। हम भी कल तक चले जाएंगे, फिलहाल हम सरकार के जवाब का इंतजार कर रहे हैं। हमने सरकार से घाटी से बाहर स्थानांतरित करने के लिए कहा था। यहां के बाशिंदों ने दावा किया कि पुलिस ने श्रीनगर के एक इलाके को सील कर दिया है।
उन जगहों पर सुरक्षा बढ़ा दी है, जहां कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारी रहते हैं। वहीं, स्थानीय प्रशासन ने परिवारों के पलायन को लेकर टिप्पणी के अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया, लेकिन उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पिछले महीने कश्मीरी पंडितों को आश्वासन दिया था कि उनकी सुरक्षा के लिए उपाय किए जाएंगे।