बीजिंग । चीन के शिजियांग के अलावा इनर मंगोलिया में भी ड्रैगन के खिलाफ विद्रोह की चिंगारी भड़क रही है। इनर मंगोलिया में नई द्विभाषी शिक्षा नीति के खिलाफ छात्र व उनके अभिभावक ड्रैगन के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि किसी से उसकी भाषा छीन लेना उसके पूरे इतिहास, ज्ञान और उसकी सांस्कृतिक विरासत को नष्ट कर देना जनसंहार के समान है।उन्होंने आरोप लगाया कि शिजियांग में उइगर मुसलमानों को कुचलने की तरह ही चीन इनर मंगोलिया को भी निशाना बना रहा है। कोरोना संक्रमण के प्रकोप के कुछ थमने के बाद जब स्कूल खुलने की नौबत आई, तब इनर मंगोलिया में अभिभावकों के सामने एक नई मुश्किल आ खड़ी हुई। स्कूलों में तीन खास विषयों को मंगोलियाई भाषा की जगह चीन की आधिकारिक भाषा मैंडेरिन में पढ़ाए जाने के नियम जारी हुए। अभिभावकों व छात्रों का कहना है कि चीन सरकार मंगोलियाई भाषा व संस्कृति को नष्ट करना चाहती है।
सदियों पहले इनर मंगोलिया और आउटर मंगोलिया मिलकर ग्रेटर मंगोलिया के नाम से जाना जाता था लेकिन चीन की नजर पड़ने के बाद बस्तियों और आबादियों संबंधी बदलाव शुरू हुए। 1911 में जब चीन राजशाही से आज़ाद होकर गणतंत्र बना, तब मंगोलिया के भी आजाद होने की उम्मीद जागी लेकिन रूस की मदद के बावजूद मंगोलिया कभी पूरी तरह आजाद नहीं हो सका। खास तौर से इनर मंगोलिया पर चीन का कब्ज़ा बना ही रहा। इनर मंगोलिया का मतलब है 12 फीसदी चीन लेकिन 1911 से चीन ने जिस तरह यहां आबादी के समीकरण बदले उसका अंजाम ये हुआ कि 1949 की कम्युनिस्ट क्रांति के बाद यहां मंगोल अल्पसंख्यक हो चुके थे और चीन का हान समुदाय यहां हावी था।