मेलबर्न। भारत को एक ‘जटिल बाजार’ लेकिन ‘तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था’ करार देते हुए ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्री सिमोन बर्मिंघम ने कहा कि सरकार भारत के साथ व्यापारिक और निवेश संबंधों को और गहरा बनाने के लिए प्रयासरत है। वह इसके लिए एक रिपोर्ट की सिफारिशों को सक्रियता से लागू कर रही है। भारत ऑस्ट्रेलिया का आठवां सबसे बड़ा व्यापार सहयोगी है।
ऑस्ट्रेलिया के लिए यह पांचवा सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। वित्त वर्ष 2018-19 में दोनों देशों के बीच वस्तु एवं सेवा का दो तरफा व्यापार करीब 30।3 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का रहा। एक साक्षात्कार में बर्मिंघम ने कहा, भारत एक जटिल बाजार है। हालांकि, यह तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है जहां विभिन्न प्रकार के लोग हैं और बहुत सारे राज्य हैं।
उन्होंने कहा इसलिए हमने एक ‘भारत आर्थिक रणनीति’ बनायी है। इसमें बहुत सी सिफारिशें की गयी है और हम सक्रिय तौर पर उन्हें लागू कर रहे हैं ताकि भारत के साथ संबंधों को और गहरा किया जा सके। विशेषकर शिक्षा और कृषि क्षेत्र में नए अवसर बनाकर। बर्मिंघम ने कहा कि सरकार प्राकृतिक संसाधन क्षेत्र में भी भारत के साथ रिश्ते मजबूत करने पर ध्यान दे रही है। इसमें सिर्फ खनिज प्राकृतिक संसाधन भारत को बेचने की बात नहीं है। बल्कि ऑस्ट्रेलियाई कौशल और जानकारी का इस्तेमाल कर भारत में बढ़ रही खनन और इंजीनियरिंग सेवाओं का हिस्सा बनना भी शामिल है।
उल्लेखनीय है कि ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने ‘भारत आर्थिक रणनीति’ 2018 में जारी की थी। इसमें भारत के साथ 2035 तक आर्थिक रिश्तों में आमूलचूल बदलाव लाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें विभिन्न तरह की 90 सिफारिशें की गयी हैं जो मुख्य 10 क्षेत्रों पर जोर देती हैं। ये क्षेत्र कृषि उद्यम, प्राकृतिक संसाधन, पर्यटन, ऊर्जा, स्वास्थ्य, वित्तीय सेवा, अवसंरचना, खेल, विज्ञान और नवोन्मेष इत्यादि हैं। व्यापार अवसर बढ़ाने के लिए भारत के 10 राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, पंजाब, दिल्ली-एनसीआर और उत्तर प्रदेश का चुनाव किया गया है।