भोपाल । मध्यप्रदेश सरकार के कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली को लेकर कांग्रेस व भाजपा के सदस्य मिलाकर आधा सदन सहमत है। पुरानी पेंशन बहाली से कर्मचारी को ही नहीं सरकार को भी फायदा होगा। जानकारों का मानना है कि राज्य सरकार पुरानी पेंशन लागू कर मौजूदा स्थिति में सालाना चार हजार 128 करोड़ रुपये से अधिक राशि बचा सकती है। ज्ञात हो कि प्रदेश में करीब तीन लाख 35 हजार कर्मचारी पुरानी पेंशन की पात्रता रखते हैं। प्रदेश में अंशदाई पेंशन योजना के दायरे में आने वाले कर्मचारियों में सबसे बड़ी संख्या (2.87 लाख) शिक्षकों की है। इनकी नियुक्ति 1995 से 2013 तक हुई है पर 2018 में सरकार ने इन्हें नियमित कर्मचारी माना।
इनमें से 85 प्रतिशत शिक्षक वर्ष 2032 के बाद 60 साल के होंगे। तब उन्हें पेंशन देना पड़ेगी। शेष 15 प्रतिशत शिक्षक अगले 10 साल में (हर माह औसतन दो सौ) सेवानिवृत्त होंगे। सरकार को हर माह उनकी पेंशन पर महज पांच करोड़ (60 करोड़ सालाना) रुपये खर्च करने होंगे। वहीं स्थाईकर्मी 60 साल की उम्र पूरी कर रहे हैं। उनकी सेवानिवृत्ति लगातार होना है, पर उनका वेतन कम है।
इसलिए पेंशन नौ से 15 हजार रुपये मासिक बनेगी। यदि सभी 48 हजार स्थाई कर्मियों को भी पेंशन देनी पड़ी, तो छह करोड़ रुपये मासिक खर्च होंगे।यदि पुरानी पेंशन दे दी जाती है, तो सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारी को मिलने वाले वेतन की 50 प्रतिशत राशि पेंशन के रूप में मिलेगी। उसे अपने वेतन से राशि भी नहीं कटवाना पड़ेगी। इतना ही नहीं, ग्रेच्युटी (लगभग 20 लाख रुपये), जीपीएफ और प्रत्येक छह माह में बढ़ने वाले महंगाई भत्ते का भी लाभ मिलेगा। पेंशनर की मौत होने पर परिजनों को परिवार पेंशन मिलेगी।
अंशदाई पेंशन योजना के बारे में जानकारों का कहना है कि इसमें कर्मचारियों के मूलवेतन से 10 प्रतिशत राशि काटी जाती है। जिसमें 14 प्रतिशत सरकार मिलाती है। ब्याज सहित कुल जमा राशि का 40 से 60 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारी को सेवानिवृत्ति पर एकमुश्त मिल जाता है।
शेष से पेंशन मिलती है, जो वर्तमान में पांच सौ से तीन हजार रुपये तक मिल रही है। इस बारे में आजाद अध्यापक-शिक्षक संघ के अध्यक्ष भरत पटेल का कहना है कि पुरानी पेंशन बहाल किए जाने से कर्मचारी को लाभ होगा, तो सरकार भी फायदे में रहेगी। जहां अभी हर माह 344 करोड़ रुपये पेंशन के अंशदान के रूप में खर्च करने पड़ रहे हैं, वहां 14 साल तक सेवानिवृत्त होने वालों पर सिर्फ 15 करोड़ रुपये सालाना में काम चल जाएगा।