नई दिल्ली । उर्दू के सम्मानित आलोचक, लेखक और भाषाविद प्रोफेसर गोपी चंद नारंग का निधन हो गया। 91 वर्षीय नारंग ने अमरीका में अंतिम सांस ली। वहां वे अपने पुत्र के साथ रह रहे थे। उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है। श्री नारंग का जन्म डुक्की में हुआ था। डुक्की अब पाकिस्तान के बलूचिस्तान में है।
प्रोफेसर नारंग को पदम भूषण और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी में भाषा, साहित्य, काव्य और सांस्कृति अध्ययन पर 65 से अधिक पुस्तकें लिखीं।
वे दिल्ली विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया में प्रोफेसर रहे थे। उनकी एक समालोचना साख्तियात पस–साख्तियात और मशरीक़ी शेरियात के लिए उन्हें सन् 1995 में साहित्य अकादमी पुरस्कार (उर्दू) से सम्मानित किया गया। कुछ समय पहले उन्होंने मीर तकी मीर, गालिब और उर्दू गजल पर अपने प्रमुख कार्यों के अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित किए थे।