वाशिंगटन । दुनिया के तमाम देश पिछले 3 सालों से कोरोना महामारी के प्रकोप का सामना कर रहे हैं। हालांकि हाल के दिनों में कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार गिरावट देखी जा रही है, वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि कोरोना संक्रमण के केस घटने से ऐसा नहीं समझ लेना चाहिए कि ओमिक्रॉन कोरोना वायरस का आखिरी वेरिएंट साबित होने वाला है। भविष्य में नए वेरिएंट्स के उभरने का खतरा बरकरार रहेगा। वैज्ञानिकों ने कहा इसलिए कोरोना को खत्म हुआ नहीं मान लेना चाहिए।
ओमिक्रॉन वेरिएंट के हल्के संक्रमणों की वजह से दुनिया भर में कोरोना की नई लहर देखने को मिली है। हालांकि संक्रमण के मामलों में गिरावट के बाद कई देश कोविड-19 प्रतिबंधों को वापस ले रहे हैं। बहुत से लोग यह मानने लगे हैं कि उन्हें कोविड-19 के साथ जीना है और अब यह महामारी दूर हो रही है। लेकिन ऐसा नहीं है। यह संकट तब तक खत्म नहीं होगा जब तक कि वायरस हर जगह खत्म नहीं हो जाता। विकासशील देशों में वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार और हेल्थ केयर सिस्टम से जुड़ी कमियों के कारण कोरोना वायरस का प्रसार अभी जारी रहेगा। पूर्व में विकसित देशों द्वारा वैक्सीन की जमाखोरी भी कोरोना वायरस संक्रमण की बड़ी वजह बना है।
हालांकि इससे पहले दुनिया को ओमिक्रॉन की मौजूदा लहर से पार पाना है। ओमिक्रॉन पिछले वेरिएंट की तुलना में कम गंभीर बीमारी का कारण हो सकता है, लेकिन यह बेहद संक्रामक है। इसके चलते कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामलों में जबरदस्त वृद्धि हुई है। इस बीच, इस बात के प्रमाण सामने आ रहे हैं कि वेरिएंट उतना सहज नहीं हो सकता जितना कि शुरुआती आंकड़ों से पता चलता है। येल स्कूल ऑफ मेडिसिन में महामारी विज्ञान के प्रोफेसर अकिको लवासाकी ने कहा कि, यह वायरस कुछ महीनों में अपना आकार बदलता है। जब हम डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीन के बूस्टर शॉट को लेकर संतोष जाहिर कर रहे थे, उसी दौरान ओमिक्रॉन हमारे सामने आ गया। हालांकि कोरोना वैक्सीनेशन से हम इस महामारी से लड़ने में कामयाब रहे, लेकिन ऐसा नहीं है कि यह आखिरी संकट है। ओमीक्रोन जैसे संकट आते रहेंगे।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस कभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं होगा, बल्कि संक्रमण की नई लहरें पैदा करने के लिए नए-नए रूपों में विकसित होता रहेगा। इसके नए-नए म्यूटेशन सामने आते रहेंगे। इसलिए भविष्य में भी कोरोना के मामले बढ़ सकते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस के म्यूटेशन और संक्रमण को रोकने के लिए टीकाकरण में तेजी लानी होगी।