चंडीगढ़ । पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की पार्टी में मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। उन पर पिछले दिनों महंगाई के खिलाफ कांग्रेस के धरने में हुआ विवाद भारी पड़ सकता है। पार्टी नेताओं के बीच विवाद में महंगाई के खिलाफ कांग्रेस का धरना विफल होने और इसमें हुए विवाद के बारे में रिपोर्ट पार्टी हाईकमान तक पहुंच गई है। माना जा रहा है कि सिद्धू सहित विवाद में शामिल नेताओं पर गाज गिर सकती है।
कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी ने इस संबंध में पूरी रिपोर्ट पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को दे दी है। पंजाब में करारी हार के बावजूद पार्टी के नेताओं के बीच चल रही खींचतान को लेकर कांग्रेस हाईकमान भी काफी चिंतित है। पार्टी इसे बेहद गंभीरता से ले रही है। माना जा रहा है कि यह विवाद प्रदेश कांग्रेस प्रधान की दौड़ में शामिल नवजोत सिंह सिद्धू पर भारी पड़ सकता है।
पार्टी नेताओं का मानना है कि पूर्व प्रदेश प्रधान सिद्धू धरने में महंगाई के मुद्दे से ज्यादा फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनने की जद्दोजहद में ज्यादा सक्रिय दिखाई दिए। वहीं, पार्टी हाईकमान यह भी महसूस करने लगी है कि अगर जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक दल के नेता का चयन नहीं किया तो पार्टी का क्लेश और अधिक बढ़ सकता है।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने महंगाई के विरुद्ध केंद्र सरकार के खिलाफ चंडीगढ़ में धरना दिया था। इसमें प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं ने शिरकत की थी। यह धरना एआइसीसी के सचिव चेतन चौहान की अगुवाई में रखा गया था। धरने के दौरान विवाद तब उत्पन्न हो गया जब नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि वह ईमानदार लोगों के साथ खड़े होंगे। जिनके घर से पैसा पकड़ा जाएगा, वह उसके साथ खड़े नहीं होंगे।
इस पर यूथ कांग्रेस के प्रदेश प्रधान व रूपनगर से कांग्रेस के उम्मीदवार रहे बरिंदर ढिल्लों ने सिद्धू से उस व्यक्ति का नाम लेने को कहा। ढिल्लों चाह रहे थे कि सिद्धू अपने मुंह से पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का नाम लें। चुनाव से पहले चन्नी के भांजे के यहां से ईडी ने 10 करोड़ रुपए व लाखों के सोना व कीमती घड़ी पकड़ी थी।
ढिल्लों धरने के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू पर चरणजीत चन्नी का नाम लेने का दबाव बनाते रहे, लेकिन सिद्धू ने साफ कह दिया कि वह किसी का नाम नहीं लेंगे। इस पर उठे विवाद के कारण न सिर्फ कांग्रेस का धरना खत्म हो गया बल्कि पार्टी ने जो विरोध मार्च निकालना था वह भी रद्द करना पड़ा।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इस विवाद को पार्टी हाईकमान ने बेहद गंभीरता से लिया है। पार्टी के उच्च स्तरीय सूत्र बताते हैं कि प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने इस संबंध में राहुल गांधी को एक रिपोर्ट भी दी है। पार्टी को यह बात बेहद नागवार गुजरी है कि नवजोत सिंह सिद्धू ने धरने में महंगाई की बजाए अपनी प्रदेश प्रधान की उम्मीदवारी को पक्का करने पर ज्यादा जोर दिया।
वहीं, पार्टी के ध्यान में यह भी है कि विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद सिद्धू ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की बजाए यह कहा कि चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के चेहरे पर लड़ा गया था। इसके बाद सोनिया गांधी ने सिद्धू से इस्तीफा मांग लिया था। इसके बावजूद सिद्धू कैंप लगातार यह संदेश देने में जुटा रहा कि सोनिया गांधी ने इस्तीफा मांगा है लेकिन अभी मंजूर नहीं किया।
पार्टी में पहले से ही टकसाली कांग्रेसी और नए कांग्रेसी के बीच टसल चल रही है। वीरवार को धरने के दौरान भी प्रताप सिंह बाजवा और सुखजिंदर सिंह रंधावा ने यह संदेश देने में कोई कोर-कसर नहीं रख छोड़ी कि वह 1978 से कांग्रेस के साथ जुड़े हुए है। माना जा रहा है कि कांग्रेस अगले तीन से चार दिनों में नए प्रदेश प्रधान व कांग्रेस विधायक दल के नेता की घोषणा कर देगी।