-सड़क से लेकर राजनीतिक गलियारे तक यांकी का विरोध
काठमांडू। नेपाल में कम्युनिस्ट प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार को सुरक्षित करने और चीन के मंसूबों को परवान चढ़ाने के लिए दिन-रात एक करने वाली चीन की शातिर राजदूत हाओ यांकी के खिलाफ नेपाल में सड़क से लेकर सियासी गलियारे तक विरोध तेज होता जा रहा है। पाकिस्तान में काम कर चुकीं हाओ यांकी ने नेपाली प्रधानमंत्री से लेकर सेना प्रमुख तक को अपने इशारों पर चलने के लिए मजबूर कर दिया है। फार्राटेदार उर्दू बोलने में माहिर हाओ इन दिनों नेपाल में भारत और अमेरिका के खिलाफ चीनी एजेंडे को सेट करने में जुट गई हैं। चीनी राजनयिकों की नई पीढ़ी से ताल्लुक रखने वाली 'वुल्फ वॉरियर' हाओ ने बेहद कम समय के अंदर के नेपाल के सत्ता गलियारों में जोरदार पकड़ बना ली है। उनकी कोशिश है कि किसी भी तरीके से नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी को ओली के समर्थन में खड़ा रखा जाए जो इन भारत के खिलाफ लगातार कई फैसले ले चुके हैं। यही नहीं ओली सरकार ने चीनी राजदूत के इशारे पर अमेरिका से मिलने वाली 50 करोड़ डॉलर की सहायता को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया है। पिछले दिनों अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियों के बाद भी ओली सरकार इस फंड पर अब तक कोई फैसला नहीं ले पाई है।
दरअसल, चीन को लग रहा है कि ओली ही वह तुरुप का इक्का हैं जिन्हें नेपाल में भारत और अमेरिका के प्रभाव को खत्म करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं ओली भी लगातार चीनी राजदूत के इशारे पर भारत के खिलाफ जहरीले बयान दे रहे हैं। उनकी कोशिश है कि भारत के खिलाफ बयानबाजी करके और कदम उठाकर के चीन को खुश रखें। इससे उनकी सत्ता बची रहेगी। चीनी राजदूत और पीएम ओली के इस खेल को अब न केवल नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के नेता प्रचंड बल्कि जनता समाजबादी पार्टी-नेपाल और नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा भी समझ गए हैं। दोनों दलों के नेताओं के बीच पिछले दिनों हुई हुई बैठक में यह आम राय बनी कि केपी ओली सरकार जानबूझकर भारत के खिलाफ घृणा से भरे बयान दे रही है ताकि भारत और नेपाल के रिश्तों को खराब किया जा सके। यही नहीं दोनों दलों ने माना कि चीन को खुश करने के लिए नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के नेता किसी भी हद तक गिर जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जनता की आवाज को दबाने के लिए ही ओली सरकार ने संसद के बजट सत्र को खत्म कर दिया। इससे नागरिकता बिल और अमेरिका के साथ समझौते को स्वीकृति नहीं मिल पाई। नेपाल में हाओ की हनक का आलम यह है कि नेपाल के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल पूरन चंद्र थापा से लेकर प्रधानमंत्री केपी ओली के घर तक जब चाहे हाओ आ जा सकती हैं। नेपाल की राष्ट्रपति चीनी राष्ट्रपति को स्पेशल डिनर पर बुलाती हैं और अकेले में मुलाकात करती हैं। इसकी जानकारी खुद नेपाल के विदेश मंत्रालय को भी नहीं दी जाती है। सूत्रों का कहना है कि नेपाल के नक्शे को नए सिरे से परिभाषित करने के लिए चीनी राजदूत ने प्रधानमंत्री ओली को प्रेरित करने का काम किया है।