भोपाल । शहर के हमीदिया अस्पताल में कैंसर के मरीजों की मशीन बंद होने के कारण सिकाई नहीं हो पा रही है। अस्पताल में ना तो कैंसर के जांच की माकूल व्यवस्था है और ना ही सिकई की। कैंसर और अन्य बीमारियों का पता लगाने के लिए साढ़े चार करोड़ से लगाया गया गामा कैमरा भी मरम्मत के लिए अनुबंध नहीं होने से बंद पड़ा है। बता दें कि इस अस्पताल में पहली बार कैंसर विशेषज्ञों की भर्ती की जा रही है। एक प्राध्यापक और एक सहायक प्राध्यापक का पद सृजित किया गया है। लेकिन यह डॉक्टर सिर्फ सलाह दे पाएंगे।
प्रदेश के अन्य मेडिकल का कॉलेजों में सिकाई की सुविधा है, भोपाल में सबसे पहले सुविधा शुरू होने के बाद पिछले 3 साल से बंद है। इसकी वजह यह कि यहां पर सिकाई के लिए लगाई गई कोबाल्ट-60 मशीन करीब 35 साल पुरानी होने की वजह से अब इसे बंद कर दिया गया है। कारण यह कि मशीन की मरम्मत के लिए अब पार्ट नहीं मिल पा रहे हैं। मरम्मत करने वाली एजेंसी ने डेढ़ करोड़ रुपए का एस्टीमेट इसे सुधारने के लिए दिया है। ऐसे में कॉलेज प्रबंधन ने अब इस मशीन को कंडम घोषित करने की तैयारी की है, लेकिन नई कोबाल्ट मशीन खरीदने के संबंध में अभी कोई विचार ही नहीं किया जा रहा है।
इसके अलावा यहां की ब्रेकी थेरेपी मशीन भी पिछले 3 साल से एनुअल मेंटिनेस कांट्रैक्ट नहीं होने की वजह से बंद पड़ी है। कोबाल्ट से कैंसर के मरीजों की सिकाई दूर से किरणों के जरिए की जाती है जबकि ब्रेकी थेरेपी में सोर्स को सीधे प्रभावित अंग में टच कराकर सिकाई की जाती है। ब्रेकी थेरेपी से निजी अस्पतालों में जांच कराने का खर्च 15000 से 20000 रुपए है। इस संबंध में अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि अब कोबाल्ट की जगह लिनियर एक्सीलरेटर का उपयोग किया जा रहा है। हमीदिया अस्पताल में पीपीपी मोड पर यह मशीन लगाई जा रही है इसलिए कोबाल्ट मशीन नहीं खरीदी जाएगी।