इन्दौर । जल-संसाधन, मछुआ कल्याण और मत्स्य विकास मंत्री तुलसीराम सिलावट जी ने बजट 2022-23 की सराहना की है। उन्होंने कहा कि बजट में सभी वर्ग का ध्यान रखा गया है। खासकर मध्यवर्ग और छोटे किसानों को ध्यान में रखते हुए उन्हें विशेष लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई है।
सिलावट ने कहा कि बजट में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लंबे कार्यकाल के अनुभव का लाभ मिला है। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने बजट में शिक्षा, नौकरी, व्यवसाई, किसान, आदिवासी समाज सहित सभी वर्ग का ध्यान रखा है। राज्य की जनता पर किसी प्रकार का कोई नया कर नही लगाया गया है। उसके बाद भी विकास की नई इबारत लिखने की तैयारी की गई है।
जल संसाधन, मछुआ कल्याण और मत्स्य विकास मंत्री ने कहा कि बजट में मछली पालन को बढ़ावा देने के साथ- साथ सिंचाई का लक्ष्य बढ़ाने के लिए बजट में प्राथमिकता दी गई है।
सिंचाई के लिए प्रदेश में वर्ष 2003 में लगभग 7 लाख 68 हजार हेक्टेयर में सिंचाई होती थी। हमारी सरकार द्वारा विगत वर्षों में किये गये प्रयासों से आज कुल सिंचाई क्षमता 43 लाख हेक्टेयर से अधिक हो गई है। सिंचाई क्षेत्र के लिये वर्ष 2022-23 का बजट अनुमान 9 हजार 267 करोड़ का है।
कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने के उद्देश्य से सिंचाई क्षमता को वर्ष 2025 तक 65 लाख हेक्टेयर तक पहुंचाना लक्षित है।
जल संसाधन विभाग के अंतर्गत लगभग 23 लाख 21 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की 27 वृहद्, 46 मध्यम, एवं 288 लघु सिंचाई परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। नर्मदा घाटी विकास विभाग के अंतर्गत लगभग 20 लाख 50 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की 37 परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं।
वहीं केन-बेतवा लिंक परियोजना न केवल एक महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय परियोजना है, अपितु यह बुन्देलखण्ड की तस्वीर तथा तकदीर बदलने का महाअभियान है। मध्यप्रदेश को 8 लाख 11 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में वार्षिक सिंचाई, 41 लाख आबादी हेतु पेयजल एवं 103 मेगावाट विद्युत उत्पादन प्राप्त होगा। इस परियोजना के लिये 44 हजार 605 करोड़ की स्वीकृति दी गई है। इससे स्थानीय रोजगार के अवसरों में बड़ी वृद्धि होगी।
मध्यप्रदेश को आवंटित नर्मदा जल की एक-एक बूंद का उपयोग समयसीमा में हो, यह हमारी सरकार की उच्च प्राथमिकता है। लगभग 8 हजार करोड़ लागत की चिंकी-बोरास बैराज संयुक्त बहुउद्देशीय परियोजना जिला नरसिंहपुर-रायसेन एवं सांवेर माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना जिला खरगोन-इन्दौर के निर्माण कार्य शीघ्र प्रारंभ किये जायेंगें। इनसे 2 लाख 12 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता निर्मित होगी एवं 50 मेगावाट विद्युत उत्पादन होगा।
इनके अतिरिक्त लगभग 18 हजार 650 करोड़ लागत की 9 अन्य माईक्रो सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण की कार्यवाही प्रचलित है। इनसे लगभग 3 लाख 72 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता निर्मित होगी एवं 175 मेगावाट विद्युत उत्पादन होगा।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना अन्तर्गत वर्ष 2021-22 में 1 हजार 790 जल संग्रहण संरचनाओं का निर्माण किया जा चुका है, जिससे 7 हजार 370 हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित हुई है।
:: मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास विभाग में भी नई योजना ::
प्रदेश में उपलब्ध जलक्षेत्र का लगभग 99 प्रतिशत जलक्षेत्र मछली पालन से आच्छादित करते हुए मछली उत्पादन के क्षेत्र में रोजगार के अतिरिक्त अवसर सृजित किए गये हैं। प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के क्रियान्वयन में हमारे प्रदेश ने उत्कृष्ट कार्य किया है।
मत्स्यपालन में रोजगार की अपार संभावनाओं के दोहन के लिए मुख्यमंत्री मत्स्यपालन विकास योजना प्रांरभ की जायेगी। इस योजना हेतु 50 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र के कार्यों के लिये वर्ष 2022-23 में 40 हजार 916 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।