बिलासपुर। बिलासपुर जिले में मिशन अस्पताल पर जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। नगर निगम ने अतिक्रमण दस्ते ने अवैध कब्जा को हटाना शुरू किया है। करोड़ों की सरकारी जमीन पर व्यावसायिक उपयोग पर हो रहा था।
दरअसल, कमिश्नर कोर्ट ने लीज समाप्ति के आदेश को सही ठहराया था। इस अस्पताल के ओपीडी, आईसीयू और अन्य हिस्सों को कब्जे में कर लिया गया था। बिलासपुर के मिशन अस्पताल परिसर को जिला प्रशासन के कब्जे में ले लिया था। भवन की बदहाली को देखते हुए जर्जर भवन घोषित किया गया। इसके बाद नगर निगम ने 10 बुलडोजर से भवन को जमीदोज करने में लगें है।
सुबह 6 बजे से अतिक्रमण दस्ते की 10 गाड़ियां भवन को जमींदोज करने में लगे हैं। करोड़ों की सरकारी जमीन पर व्यवसायिक उपयोग हो रहा था। जिला प्रशासन और नगर निगम की टीम संयुक्त कार्रवाई कर रही है। दरअसल, कमिश्नर कोर्ट ने लीज समाप्त होने पर भूमि अधिग्रहण के आदेश को सही ठहराया था। मिशन हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉक्टर रमन जोगी और पदाधिकारियों ने अस्पताल के ओपीडी, आईसीयू और अन्य हिस्सों को कब्जा कर लिया था। लाइसेंस रिन्यूअल नहीं होने के बाद भी जर्जर भवन में अस्पताल का संचालन किया जा रहा था।
दस साल पहले खत्म हो गई है लीज की अवधि
मिशन अस्पताल की स्थापना साल 1885 में हुई थी। मिशन अस्पताल को लीज पर दिया गया। था। लीज साल 2014 में खत्म हो गई है। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने लीज का नवीनीकरण नहीं कराया है। नवीनीकरण के लिए पेश किए गए आवेदन को नजूल न्यायालय ने वर्ष 2024 में खारिज कर दिया। नजूल न्यायालय के खिलाफ मिशन प्रबंधन ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश जारी करने से इनकार कर दिया।
हो रहा था व्यावसायिक उपयोग
क्रिश्चियन वुमन बोर्ड का मिशन के डायरेक्टर डॉ. रमन जोगी ने मिशन अस्पताल परिसर की जमीन पर कब्जा कर व्यावसायिक उपयोग करते हुए उसे किराए पर दे दिया था। वहीं, मिशन अस्पताल को भी अस्थाई रूप से बंद कर न्यू वंदना अस्पताल के नाम पर संस्था का संचालन किया जा रहा था।
इस बीच रजन जोगी ने कलेक्टर को पत्र लिखकर कहा था कि अस्पताल के ओपीडी, इक्विपमेंट,लेबर रूम, आईसीयू, नवजात शिशु केंद्र, नर्सिंग स्कूल, हॉस्टल, क्लासरूम लैबोरेट्री और रेजिडेंशियल आवासीय डॉक्टर्स कॉलोनी और स्टाफ क्वॉर्टर को प्रशासन को सौंप देगा।
प्रशासन का कब्जा फिर भी चल रहा था अस्पताल
इसके बाद जिला प्रशासन ने अस्पताल परिसर को अपने कब्जे में ले लिया था। लेकिन, इसके बाद भी यहां मिशन अस्पताल पहले की तरह संचालित हो रहा था। अस्पताल में डॉक्टर भी अपने चैंबर में बैठ रहे थे और बाकायदा ओपीडी भी लगाई जा रही थी। लोगों ने प्रशासन ने इसकी शिकायत भी की थी।लेकिन, इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया जा रहा था।
जिला प्रशासन के कब्जे में लेने के बाद भी परिसर में अभी भी लोग किराए पर रह रहे थे। ऐसे में कब्जाधारी अब भी काबिज थे। इसके साथ ही मुख्य अस्पताल के पीछे एक लाल रंग की बिल्डिंग है। जहां नर्सिंग कॉलेज का ऑफिस भी खोला गया था। विधायक निधि से जनरेटर, एसी और दूसरी व्यवस्थाएं की गईं थीं। लीज निरस्त होने के बाद जिला प्रशासन ने इसे अपने कब्जे में ले लिया था