केप टाउन । दक्षिण अफ्रीका की रहने वाली दुनिया की 'सबसे उम्रदराज महिला' जोहाना माज़िबुको ने 50 पोते-पोतियों के साथ अपना 128वां जन्मदिन मनाया। उनकी इतनी लंबी उम्र के पीछे खान-पान सबसे महत्वपूर्ण रहा है। ताजा दूध और जंगली पालक का कॉम्बिनेशन है जिससे जोहाना इतने लंबे समय तक जिंदा रही हैं। जोहाना के पास दस्तावेज हैं जो बताते हैं कि वह 1894 में पैदा हुई हैं। अपने जीवन में उन्होंने ब्रिटिश राज और दोनों विश्वयुद्ध को शुरू और खत्म होते देखा है।
जोहाना ने बताया कि वह अपने 12 भाई बहनों में सबसे बड़ी थीं। वह मक्के के खेत में रहती थीं। उन्होंने कहा, 'हमने खेतों में काफी अच्छा समय गुजारा। वहां कोई दिक्कत नहीं थी।' टिड्डी दल के एक हमले को याद करते हुए उन्होंने कहा कि इसने हमारे सामने समस्या खड़ी कर दी थी। उन्होंने कहा, 'टिड्डी दल के हमले से हम सब परेशान हो गए। लेकिन इन कीड़ों से छुटकारा पाने के लिए हमारे परिवार ने नया तरीका खोजा। हमने उन्हें पकड़ कर खाना शुरू कर दिया। ये मांस खाने की ही तरह था।
' जोहाना ने कहा कि बचपन में वह ताजे दूध और जंगली पालक खाकर पली बढ़ीं। वह आज आधुनिक समय के भोजन खाती हैं, लेकिन वह कहती हैं कि उन्हें उनका सादगी भरा बचपन याद आता है। जोहाना 128 साल की उम्र में भी ठीक से चल फिर सकती हैं। हालांकि उन्हें सुनने में समस्या है, लेकिन उनकी आंखें ठीक हैं।
जोहाना कई बार अपने पुराने समय को याद करते हुए बताती हैं कि उन्होंने एक व्यक्ति से शादी की जिसकी पहली पत्नी मर चुकी थी। उसके पास गाय और घोड़े थे। जोहाना दूध से मक्खन बना कर उसे बेचती थीं। जोहाना के सात बच्चे हैं, जिनमें से दो अभी भी जिंदा हैं। जोहाना के 50 पोते-पोती और परपोते हैं। जोहाना के गांव के लोग चाहते हैं कि उनका नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया जाए।