राजनीतिक गलियारों और खासतौर पर भाजपा में इन दिनों एक सवाल चल रहा है कि पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा और कब मिलेगा? पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से इसका जवाब मिलता है- उचित समय पर। उचित समय कब आएगा? इसका जवाब है आम-सहमति बनते ही।
दरअसल, पार्टी में नए अध्यक्ष को लेकर सहमति बनाने का प्रयास जारी है। जैसे ही सहमति बनेगी, चुनाव का ऐलान हो जाएगा। बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जून 2024 को खत्म हो चुका है। वह एक्सटेंशन पर हैं। नए अध्यक्ष को चुनने के लिए राष्ट्रीय सदस्यता अभियान पूरा हो गया है।
संगठनात्मक दृष्टि से 10 प्रदेशों के चुनाव हो चुके हैं, 26 में होने बाकी हैं। परंपरा है कि 18 प्रदेशों के चुनाव संपन्न होने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव होते हैं। हालांकि इसकी बाध्यता नहीं है।
पार्टी नेता के मुताबिक- पार्टी संविधान की धारा 19 के तहत यदि 5 प्रदेशों में राष्ट्रीय परिषद का चुनाव हुआ हो तो निर्वाचक मंडल के कोई भी 20 सदस्य राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम संयुक्त रूप से प्रस्तावित कर सकते हैं।
विपक्षी नैरेटिव की काट खोज रही भाजपा
भाजपा के एक नेता ने कहा- जो भी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेगा 2029 का लोकसभा चुनाव उसी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। ऐसे में जरूरी है कि कहीं से यह संदेश न जाए कि संगठन में एक वर्ग की नहीं सुनी जाती या फैसला जबरन थोपा गया है। बीते दस सालों में विपक्ष लगातार यह नैरेटिव गढ़ने का प्रयास कर रहा है।
नई टीम में महिलाओं को 33% जगह संभव
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा- नए अध्यक्ष की घोषणा के बाद राष्ट्रीय परिषद व कार्यकारिणी में 33% तक सीटें महिलाओं को दिए जाने का प्लान है। संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। पार्टी के विभिन्न संगठनों में भी महिला भागीदारी बढ़ेगी।
RSS चाहता है विचारधारा के लिए ससमर्पित युवाओं को मौका मिले
संघ इस पर सहमति चाहता है कि भाजपा सहित सभी आनुषांगिक संगठनों में विचारधारा के प्रति समर्पित युवाओं को तरजीह मिले। वैचारिक रूप से अलग होने के बावजूद विचारधारा और संगठन के प्रति समर्पण जिम्मेदारी देने का एकमात्र पैमाना हो। पहली कतार के नेता ऐसा फ्रेम वर्क दें, जिससे कार्यकर्ता भविष्य में विकल्प बन सकें। यह व्यवस्था राष्ट्रीय अध्यक्ष या उनकी टीम तक नहीं, बल्कि पूरी राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद तक में हो।
भाजपा अध्यक्ष बनने के 8 महिला-पुरुष दावेदार
शिवराज सिंह चौहान: शिवराज सिंह चौहान 6 बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। 4 बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। मुख्यमंत्री रहते हुए लाडली बहना योजना शुरू की, जो विधानसभा चुनाव में गेमचेंजर साबित हुई। ये योजना दूसरे राज्यों के लिए रोल मॉडल बन गई। 13 साल की उम्र में RSS से जुड़े और इमरजेंसी के दौरान जेल भी गए। OBC कैटेगरी से हैं। 2005 में मध्य प्रदेश BJP के अध्यक्ष रहे हैं। RSS की लिस्ट में शिवराज सबसे ऊपर हैं।
सुनील बंसल: सुनील बंसल के पास 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के सह प्रभारी और फिर 2017 में प्रभारी की जिम्मेदारी रहते हुए पार्टी को कामयाबी दिलाई। इसके अलावा ओडिशा, बंगाल और तेलंगाना के प्रभारी के रूप में मिली कामयाबी भी बड़ा प्लस पॉइंट है। सुनील बंसल को यूपी में बीजेपी का चाणक्य तक कहा गया है। संघ से नजदीकी के साथ-साथ संगठन में भी अच्छी पकड़ है।
धर्मेन्द्र प्रधान: वर्तमान में केंद्रीय शिक्षा मंत्री और भाजपा के एक अनुभवी संगठनकर्ता हैं। ओडिशा से आते हैं, जहां बीजेपी अपनी पकड़ और भी ज्यादा मजबूत करना चाहती है। मोदी और शाह की टीम के भरोसेमंद सदस्य। 40 साल का राजनीतिक अनुभव, बड़े ओबीसी नेता है। 14 साल की उम्र में ABVP से जुड़े और 2010 में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव बने। संगठन में मजबूत पकड़, 2 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा सदस्य बने।
रघुवर दास: रघुवर दास झारखंड के पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने झारखंड में 5 साल का स्थिर शासन दिया, जो राज्य में पहली बार हुआ। उनकी जमीनी कार्यकर्ताओं और भाजपा संगठन में मजबूट पकड़ है। ओबीसी समुदाय से आने के कारण भाजपा को सामाजिक समीकरण में नई बढ़त मिल सकती है। उनकी वजह से पूर्वोत्तर में भाजपा को विस्तार मिल सकता है।
स्मृति ईरानी: कई अहम मंत्रालय संभालने के साथ प्रशासनिक अनुभव हैं। पार्टी के लिए मजबूत महिला चेहरा। RSS के साथ अच्छे संबंध और हिंदी बेल्ट के साथ दक्षिण भारत में भी प्रभावी।
वानति श्रीनिवासन: वर्तमान में भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। ऐसे में संगठनात्मक कार्यों में उनका अनुभव है। 1993 से भाजपा से जुड़ी हुई हैं। तमिलनाडु में कोयंबटूर दक्षिण सीट से कमल हासन जैसे बड़े नेता को हराया था। तमिलनाडु में भाजपा को मजबूत करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पति श्रीनिवासन विश्व हिंदू परिषद के प्रदेश मंत्री रह चुके हैं। ऐसे में परिवार संघ और बीजेपी के काफी करीबी हैं।
तमिलिसाई सौंदर्यराजन: 1999 से भाजपा से जुड़ी हुई हैं। राष्ट्रीय सचिव समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। तमिलनाडु में भाजपा की प्रदेश अध्यक्ष (2014-2019) रह चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के करीबी नेताओं में गिनी जाती हैं। तमिलनाडु में भाजपा को विपक्ष में रहते हुए भी पार्टी के विस्तार में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए पार्टी का संविधान
भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष को चुनने के लिए एक तय नियम और प्रक्रिया है। इन्ही नियमों को पूरा करने में हुई देरी के चलते अब तक राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो सका है।