नई दिल्ली । विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने संसद के उच्च सदन राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि 2017 से 2021 के बीच, संयुक्त अरब अमीरात द्वारा भारत में लगभग 6,488.35 मिलियन डॉलर का निवेश किया गया है। यूएई भारत में शीर्ष 10 प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) योगदानकर्ताओं में से एक है। पिछले 3 वर्षों के दौरान, मध्य पूर्व के देशों से 5.5 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भारत में आया है। सऊदी अरब भी भारत में एफडीआई में महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं में से एक है।
इस बीच, संयुक्त अरब अमीरात भारत के लिए प्रवासी दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि लगभग 35 लाख भारतीय वहां रहते हैं। सूत्रों का कहना है कि संयुक्त अरब अमीरात से भारत आने वाला रेमिटेंस (प्रवासियों द्वारा भारत में अपने पारिवारिक जनों और रिश्तेदारों को भेजे जाने वाले पैसे को रेमिटेंस कहते हैं) भी अधिक है और हाल के महीनों में इसमें 5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, खाड़ी देशों से भारत में प्रमुख निवेशकर्ता हैं: संयुक्त अरब अमीरात से 6488.55 मिलियन डॉलर, सऊदी अरब से 3058.25 मिलियन डॉलर, कतर से 223.49 मिलियन डॉलर, बहरीन से 181.45 डॉलर, ओमान से 109.25 मिलियन डॉलर और कुवैत से 37.91 डॉलर। विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन के अनुसार, जून 2020 से दिसंबर 2021 के बीच ईसीआर देशों से लौटने वाले भारतीय प्रवासी श्रमिकों में यूएई से 1,52,126, सऊदी अरब से 1,18,064, कुवैत से 51,206, ओमान से 46,003 और कतर से 32,361 शामिल हैं।
ई-माइग्रेट पोर्टल के अनुसार, 1 जनवरी, 2020 से 30 जून, 2022 की अवधि के दौरान ईसीआर देशों के लिए कुल 4,16,024 इमीग्रेशन क्लीयरेंस जारी की गई है। जून 2020 से दिसंबर 2021 के बीच छह खाड़ी देशों बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और यूएई में काम करने के लिए भारत छोड़ने वाले लोगों की संख्या 1,41,172 है। आंकड़ों के अनुसार, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इराक, कतर, कुवैत, ओमान और ईरान के साथ व्यापार, भारत के कुल विदेशी व्यापार का 18.25 प्रतिशत है।