भोपाल । मध्यप्रदेश की 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए 3 नवंबर को वोटिंग होगी। प्रदेश में आचार संहिता भी लगी हुई है। लेकिन मध्यप्रदेश सरकार के दो मंत्रियों को उपचुनाव में वोटिंग से पहले अपने पद से इस्तीफा देना होगा। ये दोनों मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं। ये दोनों ही मंत्री अभी विधायक नहीं हैं। ऐसे में वोटिंग से पहले उन्हें इस्तीफा देना होगा। मंत्री तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत के विधानसभा उपचुनाव तक मंत्री पद में बने रहने में संवैधानिक पेंच आड़े आ रहा है। सिवालट और गोविंद सिंह राजपूत, ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक नेता हैं। माना जा रहा है कि दोनों मंत्री बुधवार को पद से इस्तीफा दे सकते हैं।
इसलिए देना पड़ेगा इस्तीफा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 21 अप्रैल को अपनी टीम में पांच मंत्रियों को शामिल किया था। इसमें गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट भी शामिल थे। 21 अक्टबर को इनके 6 महीने पूरे हो रहे हैं। असल में उन्हें मंत्री रखना है, लेकिन संवैधानिकबाध्यता के चलते वे विधायक बने बिना छह माह से अधिक समय तक मंत्री नहीं रह सकते हैं। अब दोनों ही नेता को भाजपा ने अपना-अपना उम्मीदवार घोषित किया है। गोविंद सिंह राजपूत, सागर जिले की सुरखी विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार हैं तो तुलसी सिलावट, इंदौर जिले की सांवेर विधानसभा सीट से उम्मीदवार हैं।
क्या कहना है जानकारों का
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप का कहना है कि छह माह तक मंत्री बनाया जा सकता है। इसके बाद वह व्यक्ति तभी मंत्री बन सकता है जब चुनाव जीतकर आए। बता दें कि प्रदेश में आचार संहिता भी लगी है जिस कारण से ये दोनों नेता चुनाव परिणाम आने तक मंत्री पद की शपथ दोबारा नहीं ले सकते हैं।