भोपाल । प्रदेश के प्रमुख हिल स्टेशन में शुमार पचमढ़ी में प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर टाइगर सफारी बनाने की योजना पर जोरशोर से काम चल रहा है। यह पीपीपी मोड में बनने वाली प्रदेश की पहली टाइगर सफारी होगी। इसके लिए पचमढ़ी में हवाई पट्टी के नजदीक 50 हेक्टेयर भूमि का चयन किया गया है, जिसमें बड़ा बाड़ा (इंक्लोजर) बनाकर बाघों को रखा जाएगा और पर्यटक जाली से बंद वाहन में सवार होकर भ्रमण कर सकेंगे। इस पर करीब 16 करोड़ रुपये खर्च होंगे। ईको पर्यटन बोर्ड डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर रहा है। इसके बाद निविदा जारी की जाएगी। पचमढ़ी प्रदेश का इकलौता हिल स्टेशन है, जहां हर साल औसतन 20 लाख पर्यटक आते हैं।
इन पर्यटकों को बाघ देखना हो तो उन्हें सतपुड़ा टाइगर रिजर्व जाना पड़ता है, पर वहां भी बाघ दिखाई दे ही जाएं, यकीन से नहीं कहा जा सकता है। इसलिए पचमढ़ी में हवाई पट्टी के नजदीक बाघ सफारी बनाने की रणनीति तैयार हो रही है।इसके बहाने ईको टूरिज्म बोर्ड पर्यटन बढ़ाएगा। शुरूआत में 50 हेक्टेयर में बाड़ा विकसित किया जाएगा, जिसमें दो बाघ छोड़े जाएंगे। ये चिड़ियाघर या रेस्क्यू किए गए बाघ भी हो सकते हैं। इसके अलावा एक अन्य बाड़ा बनाकर भालू भी रखे जा सकते हैं, ताकि पर्यटकों को घूमना अच्छा लगे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में भी बाघ सफारी बनाने पर काम चल रहा है।
बाघ सफारी की डीपीआर तैयार करा रहा है। इसके बाद निविदा जारी करेगा, जो कंपनी या संस्था निविदा प्रक्रिया में भाग लेकर काम लेगी, उसे चयनित क्षेत्र में अधोसंरचना विकास (बाड़ा, पानी और पर्यटकों को भ्रमण कराने का इंतजाम) करने के साथ अन्य सुविधाएं भी जुटाना होंगी। इन सुविधाओं के आधार पर वन विभाग संबंधित संस्था के समन्वय से सफारी का शुल्क तय करेगा। सीजेडए से अनुमति का इंतजार वन विभाग पचमढ़ी में सफारी विकसित करने के लिए केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) को प्रस्ताव भेज चुका है। वहां से अनुमति मिलते ही सफारी का निर्माण शुरू हो जाएगा। इस बारे में ईको टूरिज्म बोर्ड प्रबंध संचालक सत्यानंद का कहना है कि अभी डीपीआर तैयार की जा रही है। इसके बाद निविदा जारी करेंगे। सफारी में फिलहाल बाघ और भालू रखने पर विचार चल रहा है।